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बल्लभगढ़ शनिदेव मंदिर में श्रद्धा पर से हटी पाबन्दी, मंदिर के घंटे और घंटियों को किया गया आजाद

Faridabad Ballabhgarh shani mandir news. Ban removed from ringing ballabhgarh shanidev mandir bell after social media viral photo
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बल्लभगढ़: कल सुबह अचानक एक खबर आयी जिसनें पूरे देश को हिलाकर रख दिया. बल्लभगढ़ चावला कॉलोनी में शनि देव मंदिर की घंटियों को काले कपड़े से ढक दिया गया था ताकि उन्हें कोई भक्त बजा ना सके. जब इस मामले में मंदिर के पुजारी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि उन्होंने SDM का आदेश मानते हुए ये कदम उठाया है, सामने स्कूल वालों ने प्रशासन से शिकायत की थी कि मंदिर की घंटियों की वजह से बच्चों की पढ़ाई में असुविधा होती है, उन्होंने प्रशासन के आदेश को मानते हुए घंटों और घंटियों को काले कपड़ों से ढक दिया है ताकि उन्हें कोई बजा ना सके. पुजारी ने यह भी कहा कि स्कूल में हमारे ही बच्चे पढ़ते हैं इसलिए मैं भी चाहता हूँ कि उनकी शान्ति भक्त ना हो.

पुजारी ने भले ही प्रशासन का आदेश मान लिया लेकिन वह भूल गए कि मंदिर पुजारी का नहीं बल्कि भक्तों और भगवान का होता है. भक्तों ने इससे नाराजगी जताई, बात मीडिया तक पहुंची और देखते ही देखते खबर पूरे देश में वायरल हो गयी. प्रशासन को जवाब देना भारी पड़ गया. सिर्फ दो घंटे में मंदिर के घंटों और घंटियों को फिर से आजाद कर दिया गया. आप भी देख सकते हैं फोटो.


मंदिर की घंटियों को आजाद किये जाते से भक्तों को भी सुकून मिला है. श्रद्धा पर पाबन्दी लगाने से पूरा शहर दुखी था लेकिन पाबन्दी हटने से सभी लोग चैन की सांस ले रहे हैं.


किसने की थी शिकायत

जानकारी के मुताबिक़ राजकीय महिला कॉलेज की प्रधानाचार्य को मंदिर की घंटियों से आपत्ति थी और उन्होंने इसके खिलाफ प्रशासन से शिकायत की थी. बता दें कि यहाँ पर कई वर्षों से राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय है, यहाँ के प्रधानाचार्य रमेश कुमार और छात्राओं को कभी भी मंदिर की घंटियों से आपत्ति नहीं हुई लेकिन इसी वर्ष से इस विद्यालय के प्रांगण राजकीय महिला कॉलेज की क्लासेज लगनी शुरू हुई हैं, इसलिए प्रधानाचार्य उषा दहिया ने मंदिर की घंटियों के खिलाफ SDM राजेश कुमार से शिकायत कर दी.

SDM राजेश कुमार ने प्रधानाचार्य की शिकायत पर त्वरित कार्यवाही करते हुए पुलिस के जरिये पुजारी को सन्देश भिजवाया, पुजारी ने भी SDM का आदेश मानते हुए घंटियों को काले कपड़ों से बाँध दिया, यहाँ पर यह भी साफ़ करना चाहते हैं कि SDM ने पुजारी को घंटियों को काले कपड़ों से ढकने का आदेश नहीं दिया था, पुजारी ने स्वयं ही यह कदम उठाया था लेकिन उनके पास भी कोई रास्ता नहीं था, अगर पुजारी किसी भक्त को बार बार मंदिर की घंटियाँ बजाने से रोकेगा तो भक्तों को बुरा लगता है इसलिए पुजारी ने अपने विवेक से यह निर्णय लिया था.
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