फरीदाबाद: आपने देखा होगा कि कल WHO ने विश्व के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट जारी की थी जिसमें से 14 शहर भारत के थे, रिपोर्ट के अनुसार हमारा शहर फरीदाबाद विश्व का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, यहाँ का PM 2.5 172 है, जबकि सबसे प्रदूषित शहर कानपुर का PM 2.5 173 है. हम इस आर्टिकल के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि PM 2.5 क्या है, ये कैसे बढ़ता है, ये कैसे कम होगा, फरीदाबाद को सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट से कैसे निकाला जा सकता है.
क्या है PM 2.5
PM 2.5 एक वायु प्रदूषक कण है जिसकी मात्रा बढ़ने से हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है, विजिबिलिटी कम हो जाती है जिसकी वजह से हम दूर तक देख नहीं पाते, वायुमंडल काला दिखने लगता है, कुहरे का आभास होता है. PM 2.5 की सामान्य मात्रा 50 या उससे कम होनी चाहिए.
PM 2.5 हमारे स्वास्थय को कैसे प्रभावित करता है
जब PM 2.5 कणों की मात्रा हवा में बढ़ जाती है तो यह सीधे हमारे फेफड़े में पहुँचती है क्योंकि हम हवा से ही ऑक्सीजन लेते हैं, इसका सबसे अधिक बुरा प्रभाव फेफड़ों पर ही पड़ता है. फेफड़ों के काम ना करने से हमें अस्थमा, टीवी और हार्ट की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है.
इसके अलावा आँखों, नाक, गला भी प्रभावित होता है, खिचखिच होती है, छींकें आते हैं, नाक बहने लगती है और सांस लेने में दिक्कत होती है. अगर लम्बे समय तक PM 2.5 कड़ हमारे फेफड़ों में जाते हैं तो गंभीर बीमारियों और कैंसर होने की भी संभावना बढ़ जाती है.
कहाँ से आता है PM 2.5
PM 2.5 के कई सौर्स होते हैं - बाहरी, भीतरी.
बाहरी सौर्स- कार, ट्रक, बस से निकलने वाला धुंवा, कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट और स्वचालित यंत्रों से निकलने वाली एनर्जी, घास-पूस और लकड़ी के जलने से निकलने वाला धुंवा, डामल जलाने से निकलने वाला धुंवा, कोयला जलाना, जंगल में पेड़ जलाना, पॉवर प्लांट से निकलने वाला धुंवा आदि.
भीतरी सोर्स: बीड़ी-सिगरेट पीना, खाना पकाना, कैंडल जलाना, आयल लैम्प जलाना, आग जलाना, केरोसीन स्टोव जलाना.
कैसे कम होगा PM 2.5
PM 2.5 को कम करने के लिए इनके श्रोत को बंद करना पड़ेगा जो कि असंभव है या बहुत स्लो प्रोसेस है, दूसरा रास्ता है अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, जितने अधिक पेड़ लगाए जाएंगे वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा उतनी ही बढ़ेगी, CO2 का लेवल कम होगा. PM 2.5 पार्टिकल अपने आप कम होने शुरू हो जाएंगे और प्रदूषण भी कम होगा. हर समस्या का इलाज पेड़ और जंगल हैं. जितने पेड़ लगाए जाएंगे, जितने जंगल लगाए जाएंगे उतना ही प्रदूषण कम होगा क्योंकि पेड़ों से निकलने वाली ऑक्सीजन हवा में खतरनाक और प्रदूषण फैलाने वाले कणों को कम कर देती है. हर इन्सान को अपने घर के बाहर पेड़ जरूर लगाना चाहिए लेकिन शहरों में ऐसा होता नहीं है, शहरों में हर आदमी अपने घर के आगे की जगह को पक्की करके उसे पार्किंग बना लेता है, जहाँ पेड़ लगने चाहिए वहां पर कारें खड़ी करना शुरू कर देते हैं.
इसके अलावा घास पूस और फसलों के अवशेषों को जलाने से किसानों को रोकना होगा, बिजली से चलने वाली चीजों का इस्तेमाल कम करना पड़ेगा. धीरे धीरे प्रदूषण अपने आप कम हो जाएगा.
इसके अलावा प्रदूषण के खिलाफ बच्चों को जागरूक करना होगा, इसके लिए उनके स्लेबस में ये सब चीजें शामिल करनी होंगी और उन्हें समय समय पर इससे सम्बंधित एक्टिविटीज भी कराना होगा. बच्चों को पहले ही बताना पड़ेगा कि प्रदूषण हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है, आतंकी तो 100-200 लोगों को मारते होंगे लेकिन प्रदूषण हर वर्ष 10 लाख लोगों को मारता होगा.
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