फरीदाबाद: उद्योग मंत्री का काम होता है उद्योगों को बढ़ावा देना लेकिन पर्यावरण मंत्री का काम होता है पर्यावरण की रक्षा करना, बेतहाशा बढ़ते उद्योग धंधों से पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए ख़ास योजनायें तैयार की जाती है और उद्योग धंधों पर भी नकेल कसी जाती है ताकि उनकी वजह से पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे.
इसीलिए देखने में आता है कि उद्योग और पर्यावरण मंत्रालय हमेशा अलग अलग मंत्रियों के पास होते हैं लेकिन हरियाणा में ऐसा नहीं है, यहाँ पर दोनों मंत्रालय विपुल गोयल के पास हैं, शायद इसी वजह से अरवाली पर बेतहाशा निर्माण चल रहे हैं और उनपर नकेल लगाने वाला कोई नहीं है, दोनों की परमिशन एक ही मंत्री से आ रही है.
इस मामले में फरीदाबाद के समाजसेवक और RTI कार्यकर्ता वरुण श्योकंद ने आश्चर्य व्यक्त किया है और विपुल गोयल से पर्यावरण मंत्रालय लेने की खट्टर सरकार से मांग की है.
वरुण ने कहा - दुनिया जहान में ऐसा कहीं नहीं देखने में आया कि उद्योग और पर्यावरण मंत्रालय एक ही व्यक्ति के पास हो, लेकिन हरियाणा में ऐसा है।
विपुल गोयल जी के पास दोनों मंत्रालय हैं जबकि सबको पता है उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण से समझौता करना पड़ता है विपुल गोयल जी दोनों की परमिशन दे देते हैं।
डिलाईट मामले में भी कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ है विपुल गोयल जी को पोलूशन विभाग द्वारा निर्माण के अनापत्ति आदेश वापस लेने में। सुना है अफसरों को फोन कर करके धमकाया जा रहा है।
बड़ी विडंबना है हरियाणा के पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल जी हैं और एनजीटी में हमें धक्के खाने पड़ रहे हैं।
क्यों नहीं इनका पर्यावरण मंत्रालय का पद ले लिया जाए। वैसे भी दिन रात हो रहे अरावली में कब्जो से तो ऐसा लगता है कि मंत्री जी के इरादे कुछ और ही हैं।
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