Faridabad 17 October: न्यू टाउन फरीदाबाद आज अपना जन्मदिन मनाएगा शहर में आज कई जगह केक काटे जाएंगे।फरीदाबाद कभी फरीदाबाद था लेकिन ढाई दशकों से फरीदाबाद की चमक फीकी हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस शहर की जो पहचान थी वो अब नहीं रही, ढाई दशक के नेता जरूर निजी हेलीकाफ्टर से चलने लगे। नेताओं ने अपनी तिजोरी पर ध्यान ज्यादा दिया फरीदाबाद पर नहीं । यहाँ अब भाजपा के दो मंत्री हैं, एक केंद्र में दो दुसरे राज्य में, दोनों मंत्रियों से शहर के लोगों को अपेक्षाएं हैं कि वो शहर की अंतर्राष्ट्रीय पहचान ढूंढ कर लाएं तभी वो शहर के इतिहास में अच्छे नेता के रूप में अपनी पहचान बना सकेंगे। शहर की एक झील सूख गई और एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम खंडहर होता जा रहा है, नेता थोड़ा सा भी ध्यान देंगे तो बात बन सकती है।
त्रासदी के दौरान पाकिस्तान से उजड़कर आए लोगों को फरीदाबाद में शह मिली। 17 अक्टूबर 1949 के दिन एनएच-5 शहीद भगत सिंह चौक पर फावड़ा चलाकर शहर को बसाने का काम शुरू किया गया था। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद फरीदाबाद विकास बोर्ड के चेयरमैन बने। उन्होंने इस शहर को बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद यहां व्यापक स्तर पर उद्योग-धंधे स्थापित होते चले गए । उद्योगों की वजह से वजह से फरीदाबाद की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में बनी हुई। इसके बाद विकास की राह पर फरीद की नगरी निरंतर बढ़ती चली गई लेकिन दो दशकों से यहाँ के विकास की रफ़्तार ढीली होती जा रही है। एनसीआर क्षेत्र में होने के कारण यहाँ मेट्रो रेल आई और अब मथुरा रोड पर कई ओवरब्रिज बन गए लेकिन जिस तरह गुरुग्राम आगे बढ़ रहा है उस तरह फरीदाबाद आगे नहीं बढ़ा जबकि गुरुग्राम के बाद हरियाणा को सबसे ज्यादा टैक्स फरीदाबाद देता है।
आज फरीदाबाद का स्थापना दिवस फ्रंटियर एवं पंजाबी युवा मंच व जनता रामलीला कमेटी धूमधाम से मनाएगी। मंच के प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद राजेश भाटिया की देखरेख में केक काटा जाएगा जहाँ शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे । राजेश भाटिया के अनुसार पाक से उजड़ कर आए मेहनतकश लोगों ने दिन-रात मेहनत कर पांच हजार से अधिक मकानों का निर्माण निश्चित अवधि से कम समय में पूरा कर एक रिकॉर्ड कायम किया था। तत्कालीन पंजाब लोक निर्माण विभाग ने मकानों के निर्माण के लिए 4 करोड़ 64 लाख का बजट केंद्र सरकार से मांगा था। जिसके बाद शरणार्थियों ने आंकी रकम से आधी कीमत में शहर का निर्माण कर दिखा दिया जो अपने आप में रिकॉर्ड है। इन शरणार्थियों ने मात्र दो करोड़ 60 लाख रुपया खर्च कर 5 हजार 196 मकानों का निर्माण कर डाला जो आज एनएच-एक, दो, तीन व पांच कहलाता है।
फरीदाबाद को औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान दिलाने में शरणार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। विभाजन के बाद सरकार इन्हें राजस्थान के अलवर व भरतपुर में बसाना चाहती थी, लेकिन शरणार्थियों का कहना था कि वहां उनका विकास नहीं हो सकता। नेहरू सरकार ने फरीदाबाद न्यू टाउनशिप की योजना बनानी शुरू की। शरणार्थियों का नेतृत्व सालार सुखराम ने किया। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद फरीदाबाद विकास बोर्ड के चेयरमैन बने। बोर्ड के पहले चीफ एडमिनिस्ट्रेटर सुधीर बोस बनाए। इसमें लेडी नाई, सालार सुखराम, सरदार गुरबचन सिंह आदि को सदस्य बनाया गया। इसके बाद शरणार्थियों के लिए मकान बनाने का काम शुरू हुआ। उसके बाद से फरीदाबाद अब कहाँ पहुंचा है आप देख सकते हैं।
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