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पत्थर बाजों को अपना बच्चा बताकर महबूब मुफ़्ती ने कर दिया गुड़ गोबर

Mehbooba Mufti, Kashmri, Patharbaaj
mehbooba mufti on kashmir

Srinagar: महबूबा मुफ़्ती बहुत तेजी से अपना रंग बदल रही हैं, दो दिन पहले उन्होंने श्रीनगर में एक प्रेस कांफ्रेंस करके पत्थरबाजों और अलगाववादियों को खूब खरी खोटी सुनायी थी, उन्होंने कहा था कि ये पत्थरबाज बच्चे जो फ़ौज की गोलियों के शिकार हो रहे हैं, क्या ये सुरक्षाबलों के पास दूध या टॉफी खरीदने जाते हैं, या ये मिलिट्री कैम्प या पुलिस थानों में आग लगाकर कोई नेक काम कर रहे हैं, ये लोग उन्हीं सुरक्षाबलों पर हमले कर रहे हैं जो हमारी रक्षा करते हैं। 

आज दिल्ली में महबूबा मुफ़्ती बदल गयीं, आज उन्होने पत्थरबाजों को अपना बच्चा बता दिया, आज उन्होंने कहा कि इन बच्चों को वह अच्छे से जानती हैं, ये उनके साथ जुलूसों में जाते थे, खतरे के वक्त ये पत्थरबाज युवक उनकी ढाल बन जाते थे, ये युवक उन्हें माँजी माँजी कहते थे, लेकिन आज ये उनसे नाराज हो गए हैं इसलिए पत्थरबाजी कर रहे हैं। 

सच तो यह है कि ये पत्थरबाज बच्चे कोई आजादी मांगने के लिए पत्थरबाजी नहीं करते, ये अलगाववादियों के कहने पर पत्थरबाजी करते हैं, अलगाववादियों को पाकिस्तान पैसे देता है, अलगाववादी उन्हीं पैसों से कश्मीर घाटी में पत्थर खरीदते हैं और पत्थर फेंकने वाले युवाओं को पैसे देते हैं, कभी कभी तो युवाओं को भी नहीं पता होता कि वे किसलिए पत्थर फेंक रहे हैं, जब पत्थर फेंक दिए जाते हैं, सुरक्षाबल घायल कर दिए जाते हैं, कश्मीर का नुकसान कर दिया जाता है तो कश्मीरी अलगाववादी पाकिस्तान को कश्मीर में की गयी पत्थरबाजी का हिसाब देते हैं, अलगाववादी पाकिस्तान से कहते हैं कि - हुकुम आपने हमें 10 करोड़ रुपये भेजे थे, हमने इस इस जगह पर सैनिकों पर पत्थर फेंकवा दिया है, इन थानों और मिलिट्री कैम्पों को आग के हवाले कर दिया है, इतने लोगों को मार दिया है, इसके बाद का काण्ड तभी होगा जब आप और पैसे भिजवाओगे। अलगाववादियों को फायदा यह होता कि पाकिस्तान के दिए गए 10  करोड़ रुपये में से 5 -6  करोड रुपये बचा लेते हैं और ऐश करते हैं, अपने बच्चों को विदेशों में बढ़िया संस्थानों में पढने के लिए भेज देते हैं और उन्हें ऐश कराते हैं। 

सच तो यह है कि सरकार में आने से पहले महबूबा मुफ़्ती भी कश्मीरियों को आजादी के सपने दिखाती थीं, एक तरह से ये भी अलगाववादियों की गैंग से सम्बन्ध रखती थीं, 2008 और 2010 में भी कश्मीर में हिंसा और पत्थरबाजी हुई थी और महबूबा जी पत्थरबाजों को खुद उकसाती थीं, इसीलिए आज वे पत्थरबाजों को अपना बच्चा बता रही हैं, खैर सरकार बनाने के बाद उनका दिमाग खुला और उन्हें हिन्दुस्तानी होने का अहसास हुआ, शायद इसीलिए परसों की प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने पत्थरबाजों को खूब खरी खोटी सुनाई, उनकी बहुत तारीफ भी हुई, उन्हें शेरनी तक बोला गया लेकिन आज उन्होंने सब गुड गोबर कर दिया, उन्होंने पत्थरबाजों को अपना बच्चा बता दिया, इन्होने उन पत्थरबाजों को अपना बच्चा बता दिया जो पाकिस्तान से पैसे लेकर हमारे सैनिकों पर पत्थर बरसाते हैं।

काश महबूबा मुफ़्ती ये कहतीं कि अब पत्थरबाजों को पत्थरबाजी करने की जरूरत नहीं है, अब मै मुख्यमंत्री बन चुकी हूँ, बीजेपी के साथ हमारा गठबंधन है, अब आप स्वतंत्र हैं, आप कुछ भी करने के लिए आजाद हैं, बस पाकिस्तान से बचकर रहें, वहां के आतंकवादियों से बचकर रहें, जिहाद के जहर से बचकर रहें, आप अच्छी तरह पढ़ाई करें, पढ़ाई करके नौकरी करें, अपने माँ बाप का सहारा बनें और पूरे भारत में शान से घूमें। अगर महबूबा पत्थरबाजों से ऐसी अपील करतीं तो उनपर अधिक असर होता लेकिन महबूबा को भी पता है कि ये उनके बच्चे हैं, उनके साथ बहुत से जुलूसों में घूमें हैं, सरकार का बहुत विरोध किया है, सरकार के विरोध में बहुत नारेबाजी की है, सैनिकों पर बहुत पत्थर बरसाए हैं, ये पत्थरबाज ऐसे नहीं मानने वाले हैं, इसलिए वे हुर्रियत और अलगाववादियों से बातचीत करने की अपील कर रही हैं।
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