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फरीदाबाद में लगी 'राष्ट्रीय लोक अदालत', आपसी सहमति से हुआ 25623 केसों का निपटारा

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फरीदाबाद, 13 अगस्त। जिला एवं सत्र न्यायाधीश यशवीर सिंह राठौर के दिशा-निर्देश पर आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में आज शनिवार को न्यायालय परिसर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। यह जानकारी सीजेएम कम सचिव  जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती सुकिर्ती गोयल ने दी। उन्होंने बताया कि 53083 केस रखे गए  जिनमें से कुल 25623 केसों का निपटारा आपसी सहमति से लोक अदालत द्वारा किया गया।

आपकों बता दें हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन एवं न्यायमूर्ति पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ अगस्तिन जॉर्ज मसीह  के दिशा निर्देशानुसार हरियाणा प्रांत में प्रत्येक जिला में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसी क्रम में  जिला फरीदाबाद के सत्र न्यायाधीश एवं चेयरमैन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री वाई एस राठौर की अध्यक्षता एवं निर्देशानुसार मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सुकीर्ति एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की देखरेख में आज जिला अदालत सेक्टर -12 में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।

सीजेएम सुकिर्ती गोयल ने बताया कि  राष्ट्रीय लोक अदालत में परमानैन्ट लोक अदालत सहित 15 बेंच बनाए गए थे। जिनमें अमृत सिंह चालिया अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, राजेश शर्मा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, राजेश कुमार अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, डॉक्टर याशिका अतिरिक्त प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट, आशु संजीव अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लेबर कोर्ट इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल, हरीश गोयल अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, तैयब हुसैन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, महेंद्र सिंह सिविल जज सीनियर डिवीजन, रूपम न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, अस्मिता देशवाल न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, गौरव खटाना न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, आकृति वर्मा न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, शिवानी राणा न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, तरुण चौधरी न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी की बेंच बनाई गई। जिनमें 53083 केस रखे गए  जिनमें से कुल 25623 केसों का निपटारा आपसी सहमति से लोक अदालत द्वारा किया गया। जिनमें मोटर व्हिकल दुर्घटना के 33, छोटे-मोटे अपराधिक मामले  2972, चेक बाउंस 594, बिजली से संबंधित 700,  समरी चालान  16712, श्रमिक विवाद 13 केस, 67 वैवाहिक संबंधित, दीवानी 522,  बैंक रिकवरी 1030 और रेवेन्यू 2980 का निपटारा आपसी सहमति से किया गया।

सीजेएम सुकिर्ती गोयल ने आगे बताया कि लोक अदालत में  केस का  फैसला होने पर जिसकी सुप्रीम कोर्ट तक कोई अपील नहीं होती और कोर्ट फीस वापस हो जाती है। केस का फैसला हमेशा हमेशा के लिए हो जाता है।राष्ट्रीय लोक अदालत में केसों का निपटान आपसी सहमति से करवाने पर ना किसी की जीत होती और ना ही किसी की हार होती। इससे धन व समय की बचत होती है तथा आपस में प्यार भाव बना रहता है।

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Faridabad News

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