फरीदाबाद, 29 अप्रैल: मनोहर लाल और अनिल विज की जोड़ी ने सरकार चलाने का अद्भुत उदाहरण दिया है, कोरोना महामारी के रोकथाम में इस जोड़ी ने ऐसी कुशलता दिखाई है जो किसी भी सरकार ने नहीं दिखाई, दिल्ली में कोरोना बेलगाम हो गया है, अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी खट्टर और विज की जोड़ी से कुछ सीखकर कोरोना के रोकथाम के लिए आक्रामक कदम उठाते तो दिल्ली में कोरोना इतना कोहराम ना मचाता।
अब हम बताने जा रहे हैं कि खट्टर-विज की सरकार ने ऐसा क्या किया है जो दिल्ली के सर्वेसर्वा अरविन्द केजरीवाल नहीं कर सके. सबसे पहले तो ये जान लीजिये कि हरियाणा सरकार ने कोरोना मरीजों का अपने ही राज्यों के अस्पतालों में इलाज कर रही है और अधिकतर मरीजों को ठीक कर रही है जबकि अरविन्द केजरीवाल अपने बड़े बड़े अस्पतालों पर बहुत इतराते थे लेकिन वहां पर कोरोना के 3500 मरीज हो चुके हैं और 54 मरीज मर चुके हैं.
अब हम बताने जा रहे हैं कि खट्टर-विज की सरकार ने ऐसा क्या किया है जो दिल्ली के सर्वेसर्वा अरविन्द केजरीवाल नहीं कर सके. सबसे पहले तो ये जान लीजिये कि हरियाणा सरकार ने कोरोना मरीजों का अपने ही राज्यों के अस्पतालों में इलाज कर रही है और अधिकतर मरीजों को ठीक कर रही है जबकि अरविन्द केजरीवाल अपने बड़े बड़े अस्पतालों पर बहुत इतराते थे लेकिन वहां पर कोरोना के 3500 मरीज हो चुके हैं और 54 मरीज मर चुके हैं.
हरियाणा सरकार ने अपने डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के रहने खाने के लिए 3 स्टार होटलों में, टूरिस्म होटलों में और अन्य सम्बंधित स्थानों पर व्यवस्था की है ताकि कोरोना योद्धाओं को किसी भी तरह की परेशानी ना हो लेकिन दिल्ली में हरियाणा के सोनीपत, फरीदाबाद, गुरुग्राम और अन्य सीमावर्ती जिलों से रोजाना हजारों लोग दिल्ली में नौकरी करने के लिए मेडिकल स्टाफ और पुलिसकर्मी जाते हैं लेकिन केजरीवाल उनके लिए व्यवस्था नहीं कर पाए, इसीलिए बॉर्डर सील होने पर दिल्ली के कर्मचारियों को परेशान हो रही है, अगर केजरीवाल हरियाणा की खट्टर सरकार ने कुछ सीखकर अपने स्टाफ के दिल्ली में रहने की व्यवस्था कर देते तो दिल्ली के कर्मचारियों को परेशानी ना होती।
हरियाणा सरकार ने सबसे बेहतरीन काम किया तब्लीगी जमात के लोगों को ट्रेस करने का. निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के हजारों लोगों के इकठ्ठे होकर एक दूसरे को कोरोना फैलाकर पूरे देश में फैलकर कोरोना फैलाया। हरियाणा में भी 1500 से अधिक तब्लीगी घुसे लेकिन हरियाणा सरकार ने युद्ध स्तर पर उन्हें ट्रेन्स करके उनका कोरोना टेस्ट कराया जिसमें से 120 लोग पॉजिटिव मिले और सबका इलाज कराया।
लेकिन केजरीवाल ऐसा नहीं कर सके. अगर वह भी खट्टर सरकार की तरह तब्लीगी जमात के लोगों को ट्रेस करते, अगर उनपर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी देते और उन्हें फटाफट ढूढ़कर उनका टेस्ट कराकर कोरोना चैन को तोड़ देते तो दिल्ली की आज ऐसी हालत ना होती लेकिन केजरीवला तुस्टीकरण की राजनीति करते हैं इसलिए तब्लीगी जमात के लोगों पर सख्त कार्यवाही करने की उनकी हिम्मत नहीं हुई वहीं अनिल विज ने चेतावनी दी कि अगर तब्लीगी जमात के लोग घरों से बाहर ना निकले और अपना टेस्ट नहीं करवाया तो इनके खिलाफ ह्त्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जाएगा। अनिल विज की इस चेतावनी का असर हुआ और तब्लीगी जमात के छुपे हुए लोग बाहर निकले और अपना टेस्ट कराया। आज उसी का परिणाम है कि नूह-मेवात, पलवल फरीदाबाद, गुरुग्राम में कोरोना की चैन तोड़ दी गयी.
खट्टर और विज के इसी अच्छे कामों का परिणाम है कि आज हरियाणा में सिर्फ 308 कोरोना के मरीज हैं जिसमें से 224 मरीजों का इलाज भी कर लिया गया है जबकि दिल्ली में 3500 के करीब मरीज हो चुके हैं, जिसमें से सिर्फ 1078 मरीजों का इलाज किया गया है जबकि दिल्ली में बड़े बड़े अस्पताल हैं और केजरीवाल को अपने अस्पतालों पर घमंड है. कुछ महीनों पहले केजरीवाल कहते थे कि उनके अस्पतालों में यूपी बिहार के लोग 500 रुपये किराया खर्च करके आते हैं और 5 लाख का इलाज मुफ्त में कराकर जाते हैं.
कहने का मतलब ये है कि खट्टर विज की जोड़ी ने कोरोना के खतरे के खिलाफ असरदार और प्रभावी लड़ाई लड़ी है जबकि केजरीवाल सरकार पूरी तरह से असफल साबित हुई है. दिल्ली में कोरोना बेलगाम है और इसपर लगाम लगाने के लिए आक्रामक होना पड़ेगा, तब्लीगी जमात के लोगों को ट्रेस करके सबका टेस्ट करना पड़ेगा। मेडिकल स्टाफ के लिए दिल्ली में सुविधाएं देनी पड़ेंगी और तुस्टीकरण की राजनीति को छोड़ना पड़ेगा।
हरियाणा सरकार ने सबसे बेहतरीन काम किया तब्लीगी जमात के लोगों को ट्रेस करने का. निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के हजारों लोगों के इकठ्ठे होकर एक दूसरे को कोरोना फैलाकर पूरे देश में फैलकर कोरोना फैलाया। हरियाणा में भी 1500 से अधिक तब्लीगी घुसे लेकिन हरियाणा सरकार ने युद्ध स्तर पर उन्हें ट्रेन्स करके उनका कोरोना टेस्ट कराया जिसमें से 120 लोग पॉजिटिव मिले और सबका इलाज कराया।
लेकिन केजरीवाल ऐसा नहीं कर सके. अगर वह भी खट्टर सरकार की तरह तब्लीगी जमात के लोगों को ट्रेस करते, अगर उनपर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी देते और उन्हें फटाफट ढूढ़कर उनका टेस्ट कराकर कोरोना चैन को तोड़ देते तो दिल्ली की आज ऐसी हालत ना होती लेकिन केजरीवला तुस्टीकरण की राजनीति करते हैं इसलिए तब्लीगी जमात के लोगों पर सख्त कार्यवाही करने की उनकी हिम्मत नहीं हुई वहीं अनिल विज ने चेतावनी दी कि अगर तब्लीगी जमात के लोग घरों से बाहर ना निकले और अपना टेस्ट नहीं करवाया तो इनके खिलाफ ह्त्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जाएगा। अनिल विज की इस चेतावनी का असर हुआ और तब्लीगी जमात के छुपे हुए लोग बाहर निकले और अपना टेस्ट कराया। आज उसी का परिणाम है कि नूह-मेवात, पलवल फरीदाबाद, गुरुग्राम में कोरोना की चैन तोड़ दी गयी.
खट्टर और विज के इसी अच्छे कामों का परिणाम है कि आज हरियाणा में सिर्फ 308 कोरोना के मरीज हैं जिसमें से 224 मरीजों का इलाज भी कर लिया गया है जबकि दिल्ली में 3500 के करीब मरीज हो चुके हैं, जिसमें से सिर्फ 1078 मरीजों का इलाज किया गया है जबकि दिल्ली में बड़े बड़े अस्पताल हैं और केजरीवाल को अपने अस्पतालों पर घमंड है. कुछ महीनों पहले केजरीवाल कहते थे कि उनके अस्पतालों में यूपी बिहार के लोग 500 रुपये किराया खर्च करके आते हैं और 5 लाख का इलाज मुफ्त में कराकर जाते हैं.
कहने का मतलब ये है कि खट्टर विज की जोड़ी ने कोरोना के खतरे के खिलाफ असरदार और प्रभावी लड़ाई लड़ी है जबकि केजरीवाल सरकार पूरी तरह से असफल साबित हुई है. दिल्ली में कोरोना बेलगाम है और इसपर लगाम लगाने के लिए आक्रामक होना पड़ेगा, तब्लीगी जमात के लोगों को ट्रेस करके सबका टेस्ट करना पड़ेगा। मेडिकल स्टाफ के लिए दिल्ली में सुविधाएं देनी पड़ेंगी और तुस्टीकरण की राजनीति को छोड़ना पड़ेगा।
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