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ना DD, ना FIR सिर्फ राजीनामा करा रहे थे SHO, अनिल विज बोले - क्या ले-देकर, 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड

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रोहतक, 14 फरवरी: गृह मंत्री अनिल विज ने 13 फ़रवरी को रोहतक सिविल लाइन थाने का औचक निरीक्षण किया और ड्यूटी में लापरवाही बरत रहे SHO सहित 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया।

गृह मंत्री को थाने में इतनी अनियमितता दिखी कि उन्होंने SHO से कहा - बिल्कुल गदर मचा रखा है थाने में, क्या ले देकर काम हो रहा है, आप विल्कुल समानांतर थाना चला रहे हैं, इसे प्राइवेट थाना बना रखा है.

इस रेड के दौरान मंत्री अनिल विज को लकड़ी की अलमारी में तीन लोडिड गन दिखाई दी, अनिल विज ने कार्यावाहक एसपी मोहित हांडा को तुरंत लोडिड गैन सौंपते हुए इस मामले में जांच के आदेश दिए.

औचक निरीक्षण के बाद गृह मंत्री अनिल विज ने कहा - एसएचओ सही तरीके से काम नहीं कर रहा था। थाने में फरियादियों की शिकायतें रजिस्टर में चढ़ाने की बजाए बैरक और अन्य कमरों की अलमारी में दराज में पड़ी मिली। थाने के निरीक्षण के दौरान विज ने पाया कि थाने कि एक लकड़ी की अलमारी में तीन लोडिड गन थी, जोकि माल खान में जमा नहीं थी।

उन्होंने एसएचओ से पूछा कि मालखाने की बजाए कार्बाइन और पिस्टल बाहर अलमारी में क्यों रखी गई थी, इस पर भी एसएचओ जवाब नहीं दे सके। वह मुंशी पर टालते हुए नजर आए। उन्होंने एसएचओ को फटकार लगाई और जिसे अलमारी में बरामद कर विज ने एसपी मोहित हांडा को सौंप दिया। जिन तीनों कर्मचारियों की है गन, वे सभी सस्पेंशन में शामिल है। इन तीनों पुलिस कर्मियों, एसएचओ के अलावा थाने का मुंशी व एक हेड कांस्टेबल को भी सस्पेंड किया गया है।

सिविल लाइन थाने के निरीक्षण के दौरान प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज को एक दराज में एक शिकायत मिली। यह शिकायत बस स्टैंड के पास छोले भटूरे की रेहड़ी लगाने वाले युवक की थी। जिसने शिकायत में लिखा था कि उसके साथ 7-8 लोगों ने लाठी-डंडों से मारपीट की है व उसकी रेहड़ी को नुकसान पहुंचाया गया है।

इस शिकायत का स्टेटस जाना तो मौके पर खड़े थाना प्रभारी नरेश चंद ने बताया कि यह मामला हेड कांस्टेबल राकेश के पास है। उससे जानकारी लेकर बताता हूं। इस पर मंत्री विज ने कहा कि ये शिकायत एक दराज में लावारिस पड़ी है। इस पर न ही किसी के हस्ताक्षर है, न ही कोई तारीख लिखी है लेकिन मामला बड़ा है। इस पर मंत्री ने एचसी को सस्पेंड कर दिया। इसकी सूचना मिलने पर थाने से बाहर गए एचसी दौड़ कर पहुंचे और मंत्री की गाड़ी रुकवा कर बोले- मां कसम ये शिकायत अभी आई है, इस पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर भी नहीं हुए हैं। इसीलिए मैंने इसे दराज में रखा हुआ था। जिस पर मंत्री ने कहा कि कसम खाने की जरूरत नहीं है, काम पर 100 प्रतिशत ध्यान दो, इस बार तो सस्पेंड कर दिया है।बिल्कुल गदर मचा रखा है, थाने को थाने के हिसाब से नहीं चलाया जा रहा है। 

पहले उन्होंने फाइलों को खंगाला और फिर बैरक नंबर 11 और 12 समेत अन्य कमरों का निरीक्षण किया। बैरक नंबर 11 में रखी टेबल के अंदर से शिकायत की कॉपी लावारिस हालत में मिली। शिकायत को रजिस्टर में चढ़ाने की बजाय वहां क्यों रखी गई थी, इस पर एसएचओ नरेश चंद कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। उन्होंने हर कमरे में जाकर अलमारी और टेबल की दराज चेक की। यहां तक कि शौचालय में भी जाकर वहां देखा। गृह मंत्री को शक था कि एसएचओ या उनके अधीनस्थ ने कुछ शिकायतें शौचालय में छिपा तो नहीं दी। हालांकि वहां पर कुछ नहीं मिला। निरीक्षण के दौरान हर कमरे में रखी टेबल की दराज में शिकायत मिली। शिकायत काफी लंबित थी। जिस देख मंत्री ने कहा कि यह तो बिल्कुल ही गदर मचा रखा है। थाने को थाने के हिसाब से नहीं चलाया जा रहा है। सब अपनी मर्जी किए जा रहे हैं।थाना प्रभारी से बोले-बिल्कुल सामांतर थाना चला रहे हो, अपना प्राइवेट थाना बनाया हुआ है। 

सिविल लाइन थाने का औचक निरीक्षण करने के बाद मंत्री अनिल विज ने कहा कि इस थाने में सारी अनियमितताएं मिली हैं। लोगों की शिकायतें अलग-अलग अलमारियों में पड़ी हैं। जिन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इन शिकायतों को पुलिस के रिकॉर्ड रजिस्टर में भी नहीं लिया गया है। इन शिकायतों की न ही कोई डीडीआर काटी गई है, न ही शिकायतों के आधार पर केस दर्ज किया गया है। इस दौरान उन्होंने थाना प्रभारी नरेश कुमार से कहा कि बिल्कुल सामांतर थाना चलाया हुआ है। एसएचओ ने अपना प्राइवेट थाना बनाया हुआ है। सिविल लाइन थाना के नाम से एक सरकारी थाना है व एक थाना एसएचओ का प्राइवेट है। जिसमें सभी काम, सभी फैसले एसएचओ अपने स्तर पर लेते हैं। मनमर्जी से फैसले कराते हो।

अलमारी में लावारिस मिले हथियारों पर कहा-कोई भी बाहरी व्यक्ति दे सकता था वारदात को अंजाम

मंत्री ने करीब 40 मिनट तक मुंशी का कमरा खंगाला। जांच के दौरान मंत्री को कई संदिग्ध, लावारिस दस्तावेज तो मिले ही, साथ ही अलमारी में दो कार्बाइन और एक पिस्तौल लोडेड मिली। जिस पर मंत्री ने मुंशी व थाना प्रभारी से पूछा कि यह किसके हथियार है। हथियार किसके नाम पर हैं। जिस पर दोनों ने चुप्पी साध ली। मंत्री ने इस मामले में तीनों अज्ञात पुलिस कर्मियों, मुंशी और थाना प्रभारी को सस्पेंड कर दिया।

गृह  मंत्री ने कहा कि नियम यह कहता है कि कोर्ट से ही हथियार जाते हैं और मिशन पूरा होने के बाद वापस कोर्ट में ही जमा करवाने होते हैं। मंत्री ने तीनों हथियारों को एसपी मोहित हांडा को सौंप दिए और जिनके नाम पर हथियार अलॉट थे, उनके नाम जल्द बताने के बारे में आदेश दिए। मंत्री ने कहा कि थाने में आकर कोई भी व्यक्ति इन हथियारों से वारदात को अंजाम दे सकता है।

थाना प्रभारी ने कहा कि अधिकतर शिकायतों में हो गया समझौता, मंत्री बोले कि ले-देकर समझौता करवाते हो। बाद में गृह मंत्री ने एक-एक करके थाने के सभी कमरे, कार्यालय, बाथरूम, बैरक सहित पूरे थाने को खंगालाना शुरू किया। कई कार्यालयों में टेबल मिली लेकिन वो पूरी तरह से खाली थी। जिस पर मंत्री ने कहा कि जिस दौरान वह मुंशी के कार्यालय में कार्रवाई को अंजाम दे रहे थे, इस दौरान बाकी पुलिस कर्मियों ने ये सभी दराज खाली कर दी। इसके बाद मंत्री थाने की दूसरी मंजिल पर गए। जहां जाने के बाद वहां के कमरों को खंगाला। इन कमरों में मिली टेबल को खंगाला।

 जिन टेबल में कई शिकायतें मिली। शिकायतों पर लिखी तारीख से स्पष्ट हुआ कि ये शिकायतें काफी लंबित थी। जिनका करंट स्टेटस पूछा गया तो एसएचओ ने कहा कि इन शिकायतों में समझौता हो गया है। इस पर मंत्री ने कहा कि समझौता हो गया, ठीक है करवाओ, मुझे कोई एतराज नहीं है लेकिन क्या डीडीआर चढ़ाई गई है, मेडिकल हुए हैं। या ले-देकर केस खत्म कर दिया।

अनिल विज ने कार्यावाहक एसपी मोहित हांडा को निर्देश दिए कि हथियारों को कब्जे में लिया जाए और जांच कर पता किया जाए कि यह तीन पुलिस कर्मी कौन-कौन है, इसकी रिपोर्ट बनाकर भेजी जाए। गृह मंत्री ने कुछ दस्तावेज भी कब्जे में लिए हैं।

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