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अच्छा खासा जीत रही थी भाजपा, वोटकटवा नयनपाल ने सोहनपाल और रघुवीरा में करा दी कांटे की टक्कर

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पृथला, 17 अक्टूबर: पृथला विधानसभा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जनआशीर्वाद यात्रा तक भाजपा की एकतरफा जीत मानी जा रही थी क्योकि मनोहर सरकार ने गैर-भाजपा विधायक होने के बावजूद जनता का ख्याल रखा और विकास के लिए अरबों रुपये दिए। उस समय तक सट्टा बाजार में सिर्फ भाजपा की जीत तय मानी जा रही थी क्योंकि सट्टा बाजार यह मानकर चल रहा था कि लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से पृथला क्षेत्र की जनता ने जातिवाद भूलकर मोदीजी को सिर्फ विकास के नाम पर वोट दिया उसी प्रकार से विधानसभा चुनावों में मनोहर के विकास कार्यों को ध्यान में रखकर फिर से भाजपा को वोट देगी। 

सत्ता बाजार का अनुमान मान पूरी तरह से गलत साबित हुआ है। पृथला में जातिवाद की आग लग गयी है। अब सिर्फ जातिवाद को ध्यान में रखकर वोट दिए जाने की बात हो रही है। 

बात दरअसल ये है कि नयनपाल रावत ने भाजपा से बगावत करके कांग्रेस का रास्ता आसान कर दिया है। पहले रघुवीर तेवतिया चर्चा में भी नही थे लेकिन अब वह चर्चा में आ गए हैं और सोहनपाल छोकर को बराबर की टक्कर दे रहे हैं। 

बात दरअसल ये है कि सोहनपाल छोकर और नयनपाल रावत दोनों ठाकुर हैं। भाजपा की टिकट ना मिलने पर नयनपाल ने भाजपा से बगावत कर दी और खुद को पीड़ित और बर्बाद बताकर ठाकुर समाज को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की। वैसे ठाकुर तो सोहनपाल छोकर भी हैं लेकिन वह खुद को ठाकुर बताकर वोट नहीं माँगना चाहते क्योंकि इससे अन्य समाज के लोग भी अपनी अपनी जाति देखेंगे। सोहनपाल छोकर खुद को सबका सेवक बता रहे हैं। 

नयनपाल रावत के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने भाजपा का खेल खराब करने का मन बना लिया है। चुनाव लड़ने के लिए उनके पास करोड़ों रुपये आ ही चुके हैं, उनके घर से कुछ जाने वाला नहीं है। बात दरअसल ये है कि नयनपाल रावत ने खुद को पीड़ित और बर्बाद बताकर कुछ लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल कर लिया और लोगों ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए चंदा देना शुरू कर दिया, कुछ लोग तो यह बता रहे हैं कि नयनपाल रावत ने अब तक 8 - 10 करोड़ रुपये कमा लिए हैं लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। आपको पता ही होगा कि रोने धोने पर सबका दिल पसीज जाता है। 

सोहनपाल छोकर के लिए दिक्कत ये है कि नयनपाल रावत आधे ठाकुर वोटों को पकड़कर बैठे हैं। सोहनपाल छोकर खुद को ठाकुर बताकर वोट माँगना नहीं चाहते। अगर नयनपाल रावत चुनाव ना लड़ते तो ठाकुर लोग सोहनपाल छोकर को अपने आप वोट दे देते और उनका पलड़ा भारी रहता। 

नयनपाल रावत कांग्रेस को फायदा पहुंचा रहे हैं। ठाकुर वोट बंटने से रघुवीरा को सीधा फायदा हो रहा है। रघुवीरा को जाट वोटों पर भरोसा है। उन्हें लगता है कि जाट वोट उन्हें मिलेंगे, दलित मुस्लिम और अन्य समाज के वोट लेकर उनकी जीत हो जाएगी। 

इधर सोहनपाल छोडकर को भी जाट वोटों पर भरोसा है। उन्हें लगता है कि जाट लोग जातिवाद में नहीं पड़ेंगे और विकास के लिए भाजपा को वोट देंगे। सोहनपाल छोकर को सबसे बड़ी पाल तेवतिया पाल ने समर्थन भी दिया है लेकिन यह भी सच है कि आधे जाट रघुवीर तेवतिया के साथ हैं। 

अब गणित ऐसा बन रहा है कि आधे ठाकुर सोहनपाल के साथ, आधे जाट सोहनपाल के साथ, आधे पंडित सोहनपाल के साथ, इसके अलावा अन्य समाज के लोग सोहनपाल के साथ मिलकर उन्हें लड़ाई में सबसे आगे तो ले जा रहे हैं लेकिन अगर उन्हें नयनपाल रावत की तरफ जा रहे वोट भी मिल जाते तो उनकी आसानी से जीत हो जाती। 

नयनपाल रावत खुद तो डूब ही रहे हैं लेकिन साथ में सोहनपाल छोकर को भी डुबाना चाहते हैं। वह कट्टर ठाकुर वोटों को अपने साथ लेकर बैठे हैं इसलिए सोहनपाल का काम ख़राब हो रहा है। नयनपाल के इलाज के लिए कल राजनाथ सिंह को बुलाया जा रहा है। राजनाथ सिंह छायंसा में रैली करके नयनपाल के प्रभाव को कम करने का प्रयास करेंगे जिसके बाद तस्वीर कुछ साफ़ हो जाएगी वरना सोहनपाल और रघुवीरा में कांटे की टक्कर होगी। नयनपाल और सुरेंद्र वशिष्ट तीसरे-चौथे स्थान की लड़ाई लड़ेंगे। 
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