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सवाल! फरीदाबाद की जनता आँख मूंदकर उद्योगपति को देगी वोट या आँख खोलकर 30 साल के समाजसेवी को

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फरीदाबाद, 14 अक्टूबर: फरीदाबाद-89 विधानसभा की जनता के सामने दो विकल्प हैं या तो आँख मूंदकर भाजपा को वोट दे जिसनें फरीदाबाद क्षेत्र की जनता से दूर रहने वाले बड़े उद्योगपति नरेंद्र गुप्ता को टिकट दी है। भाजपा ने नरेंद्र गुप्ता को टिकट देते समय यही सोचा होगा कि मोदी और कमल के नाम पर जनता किसी को भी वोट दे देगी। 

फरीदाबाद की जनता के सामने दूसरा विकल्प लखन कुमार सिंगला हैं जो कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लखन कुमार सिंगला खुद को 30 साल का समाजसेवी बता रहे हैं जिसे कोई नकार ही नहीं सकता क्योंकि पिछले पांच वर्षों में भाजपा सरकार के दौरान जनता को कष्ट हुआ तो उसने लखन सिंगला को याद किया और लखन सिंगला ने जनता की समस्या के खिलाफ आवाज उठायी चाहे - जलभराव हो, सीवर समस्या हो, बिजली हो, पानी हो या सड़क की समस्या हो। जनता लखन सिंगला को तभी आशीर्वाद देगी जब वह आँख खोलकर उनकी 30 साल की समाजसेवा याद करे लेकिन यह भी सच है कि कुछ लोग सिर्फ पार्टी के नाम पर किसी भी उम्मीदवार को वोट दे देते हैं। 

नरेंद्र गुप्ता फरीदाबाद के जाने माने उद्योगपति हैं, उद्योग जगत में उनका नाम है लेकन जनता के बीच उनका उतना नाम नहीं है। जनता तो सिर्फ उन नेताओं को जानती पहचानती है जो उनके बीच में रहते हैं और उनकी मुसीबत में मदद करते हैं। लेकिन नरेंद्र गुप्ता के बारे में पिछले पांच वर्षों में ऐसी कोई खबर नहीं आयी कि उन्होंने फरीदाबाद विधानसभा में जनता की किसी भी समस्या के लिए आवाज उठायी हो। 

अगर विपुल गोयल को फरीदाबाद की टिकट मिली होती तो नजारा कुछ अलग होता और उन्हें अधिक समर्थन मिलता। किसी को यकीन नहीं था विपुल गोयल की टिकट कट जाएगी लेकिन मुख्यमंत्री खट्टर ने उनकी टिकट काटकर नरेंद्र गुप्ता जैसे उद्योगपति को टिकट दे दी। अगर जनता के बीच में रहने वाले किसी आम कार्यकर्ता को टिकट दी जाती तो भी इतनी बुरी हालत नहीं होती। 

लखन को क्यों मिल रहा अधिक समर्थन

इतना तो सबको पता है कि विपुल गोयल की टिकट कटने के बाद उनके समर्थक बहुत नाराज हैं इसलिए अधिकतर लोग अब लखन कुमार सिंगला को चुनाव जिताना चाहते हैं ताकि मुख्यमंत्री का फैसला गलत साबित हो सके। इसके अलावा लखन सिंगला की 30 साल की समाज सेवा नरेंद्र गुप्ता पर भारी पड़ रही है.

फरीदाबाद में करीब करीब एकतरफा माहौल है। लखन सिंगला भले ही कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनकी जान पहचान एक समाजसेवी के तौर पर अधिक है। उन्हें इसी बात का फायदा मिल रहा है। जनता के बीच यह भी सन्देश जा रहा है कि इसने हमारी 30 साल तक सेवा की है इसलिए इसे एक बार मौका जरूर देना चाहिए। 

नरेंद्र गुप्ता को कम समर्थन मिलने का मतलब ये नहीं है कि वो अच्छे नेता नहीं हैं, हो सकता है कि विपुल  गोयल से भी अच्छा काम करें लेकिन उन्हें जनता को अपना अजेंडा समझाना पड़ेगा। अगर जनता को उनकी बात समझ आ गयी तो कुछ चमत्कार हो सकता है वरना लखन के रास्ते आसान होते जा रहे हैं। 
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