फरीदाबाद, 29 अक्टूबर: हमारे देश की जनता बहुत भोली है, समाज के कुछ ठेकेदार खुद को बड़ा नेता बनाने के चक्कर में किसी जाति को आरक्षण का लालच देकर उन्हें सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के लिए उकसाते हैं, उस जाति के लोगों को भी लगता है कि अगर उन्हें आरक्षण मिल जाएगा तो उनके बच्चों को आसानी से नौकरी मिल जाएगी, यही सोचकर लोग आरक्षण के आंदोलन में जुड़ते जाते हैं, भोली भाली जनता को नहीं पता होता कि कुछ लोग आरक्षण की आग सिर्फ इसलिए लगाते हैं क्योंकि इससे उन्हें करोड़ों रुपये का चंदा भी मिल जाता है और उनकी गिनती बड़े नेताओं में होने लगती है। ये लोग बोले भाले युवाओं को आगे करके खुद पीछे बैठकर तमाशा देखते रहते हैं और युवा लोग आरक्षण की आग में मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं.
हरियाणा में 2014 में भाजपा सरकार बनी, कुछ दिनों बाद एक जाति को आरक्षण के नाम पर एकजुट किया गया, बड़ा आंदोलन किया गया, ट्रेनें रोकी गयीं, बसें फूंकी गयीं। इस सबका इल्जाम सम्बंधित जाति पर लगा, आज देश में उस जाति का जिक्र होता है तो लोग यही सोचते हैं कि वही लोग जिन्होंने आरक्षण के लिए हरियाणा जलाया था।
उस जाति को बदनाम करके कुछ लोग बड़े नेता बन गए, कुछ लोगों ने करोड़ों रुपये चंदा कमा लिया लेकिन उस जाति को कुछ नहीं मिला। आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।
उस जाति को बदनाम करके कुछ लोग बड़े नेता बन गए, कुछ लोगों ने करोड़ों रुपये चंदा कमा लिया लेकिन उस जाति को कुछ नहीं मिला। आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।
पिछले दो तीन वर्षों में उस जाति को भाजपा के खिलाफ जमकर भड़काया गया, विपक्षी नेताओं ने भाजपा पर उस जाति पर गोलियां चलाने का आरोप लगाकर उन्हें भाजपा के खिलाफ भड़का दिया जिसका असर 2019 विधानसभा चुनाव में दिखा। फलां जाति बहुल क्षेत्रों में भाजपा बुरी तरह से हार गयी, भाजपा सरकार के कई मंत्री भी चुनाव हार गए जबकि दुष्यंत चौटाला की जजपा को 10 सीटें आईं। कांग्रेस को भी 31 सीटें आईं।
चुनाव प्रचार के दौरान फलां जाति को भाजपा के खिलाफ कांग्रेस ने भी भड़काया और जजपा ने भी भड़काया इसीलिए जहाँ जजपा भाजपा से मजबूत दिखी वहां जजपा को वोट दिया गया और जहाँ पर कांग्रेस भाजपा से मजबूत दिखी वहां पर कांग्रेस को वोट दिया गया।
नतीजे आने के बाद 10 सीटें पाने वाले दुष्यंत चौटाला ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली और खुद डिप्टी मुख्यमंत्री बन गए।
अब सवाल जनता से है, आखिर जतना ऐसे नेताओं के उकसावे में आती क्यों है, जनता को कुछ नहीं मिला लेकिन जिन्होंने उन्हें भाजपा के खिलाफ भड़काया आज वो भाजपा के साथ ही सरकार बना चुके हैं और सत्ता पर काबिज हो चुके हैं।
किसी भी आंदोलनकारी पर गोलियां चलाना गलत है लेकिन कई बार ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि पुलिस को फायरिंग करनी पड़ती है लेकिन ऐसी घटनाओं से विपक्षी पार्टियों को सरकार के खिलाफ मुद्दा मिल जाता है, उस आंदोलन में भी ऐसा हुआ, उस समय ऐसा लग रहा था कि आरक्षण मांगने वाले अपनी जिद में पूरा हरियाणा जला देंगे। हालात को नियंत्रण में लेने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी लेकिन फलां जाति ने इसे अपने स्वाभिमान से जोड़कर इस चुनाव में भाजपा को सबक सिखा दिया लेकिन उनका वोट भाजपा सरकार बनाने के काम आ गया।
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