फरीदाबाद, 28 अक्टूबर: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सभी 7 निर्दलीय विधायकों की लॉटरी निकल चुकी थी। सभी ने सोचा था कि अब भाजपा निर्दलीयों का समर्थन लेने के लिए मजबूर हो जाएगी और बदले में उन्हें मनपंसद मंत्रालय मिल जाएगा। एक रात तो सभी विधायकों ने ऐसा ही सपना देखा लेकिन दूसरे दिन सभी विधायकों के सपने चकनाचूर हो गए और जजपा ने भाजपा को समर्थन देकर सरकार बना दी।
वास्तव में निर्दलीय विधायकों की कभी कभी ही लॉटरी निकलती है। जब कोई पार्टी बहुमत से कुछ कदम दूर रह जाती है तो उनके सामने सबसे पहले निर्दलीयों से समर्थन लेने का विकल्प होता है क्योंकि निर्दलीय विधायक किसी भी पार्टी को समर्थन दे सकते हैं और किसी भी समय किसी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, राष्ट्रीय पार्टियों के विधायक दूसरी पार्टी को समर्थन नहीं दे सकते क्योंकि उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है।
इस चुनाव में भाजपा बहुमत से 6 सीट दूर रह गयी। सात निर्दलीय विधायक भी जीतकर आये थे इसलिए भाजपा ने सातों से संपर्क किया और निर्दलीय विधायक भी राजी हो गए। ऐसी ख़बरें आएं कि निर्दलीयों ने सरकार के सामने कैबिनेट मंत्री बनाने की शर्त रखी।
भाजपा के सामने करो या मरो की स्थिति आ गयी। भाजपा ने सोचा कि निर्दलीयों की ब्लैकमेलिंग झेलने के बजाय जजपा के साथ मिलकर सरकार बनायी जाए। इसके बाद दुष्यंत चौटाला से संपर्क किया गया और फटाफट गठबंधन करके सरकार बनाने का ऐलान कर दिया गया। निर्दलीय विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनने का सपना देखने के लिए सिर्फ एक ही रात का मौका मिला।
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