फरीदाबाद, 24 सितम्बर: भाजपा ने कई बार साफ़ किया है कि अगर किसी बड़े नेता का पुत्र लम्बे समय से पार्टी से जुडा है. अगर आम कार्यकर्ता की तरह मंत्री का बेटा भी पार्टी की सेवा कर रहा है तो उसे चुनाव में टिकट दी जाएगी, इससे पहले राजनाथ सिंह अपने बेटे पंकज सिंह को नॉएडा विधानसभा की टिकट दिलवा चुके हैं, पंकज सिंह की विशाल जीत भी हुई थी.
राजनाथ के बेटे पंकज सिंह को इसलिए टिकट दिया गया था क्योंकि वह लम्बे समय से संघ और संगठन से जुड़े हैं, इसी तरह से कृष्णपाल गुर्जर के बेटे देवेन्द्र चौधरी भी लम्बे समय से संगठन से जुड़े हैं, वह नगर निगम में पार्षद और वरिष्ठ डिप्टी मेयर भी हैं.
कुछ लोग यह कहकर देवेन्द्र चौधरी को टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे हैं कि वह फरीदाबाद के सांसद और केन्द्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के बेटे हैं, देवेन्द्र के रास्ते में थोड़ी सी दिक्कत ये है कि हरियाणा के कुछ और सांसद अपने बेटों, बेटियों और पत्नी के लिए टिकट मांग रहे हैं, ये लोग चाहते हैं कि अगर उनके परिजन को टिकट नहीं मिल रही तो किसी भी मंत्री या सांसद के परिजन को टिकट ना मिले, लेकिन देवेन्द्र का लम्बे समय से संगठन से जुड़ा होना उनका प्लस पॉइंट है इसलिए उन्हें टिकट मिलने की अधिक संभावना है, जिस प्रकार से देवेन्द्र लम्बे समय से संगठन में जिला महामंत्री और अन्य पदों पर कार्य करते रहते हैं उस तरह से टिकट मांग रहे अन्य सांसदों के परिजन संगठन में कार्य नहीं कर रहे हैं इसलिए उनका दावा कमजोर है.
देवेन्द्र के लिए प्लस पॉइंट ये भी है कि उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाये जा रहे हैं जिसमें विपक्षी नेता, मीडिया का एक ग्रुप और भाजपा का ही एक गुट शामिल है. ये लोग हर कीमत पर देवेन्द्र को टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये लोग जानते हैं कि देवेन्द्र चौधरी आसानी से कांग्रेसी विधायक ललित नागर को हरा सकते हैं.
पार्टी भी इस बात को समझ रही है. पार्टी ने कई बार साफ़ किया है कि बड़े नेताओं के होनहार बेटों को टिकट दिया जा सकता है. पार्टी यह भी समझ रही है कि देवेन्द्र चौधरी तिगांव में कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे लेकन चुनाव समिति में स्वयं गुटबाजी है इसलिए देवेन्द्र चौधरी को टिकट दिए जाने का फैसला शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ दिया गया है. अब शीर्ष नेतृत्व ही उनके टिकट पर फैसला करेगा, अगर किसी कारणवश देवेन्द्र चौधरी को टिकट नहीं मिलती तो भविष्य में किसी भी भाजपा मंत्री या सांसद के बेटे को टिकट नहीं दी जाएगी और अगर दी गयी तो यही कहा जाएगा कि देवेन्द्र चौधरी के साथ नाइंसाफी क्यों की गयी थी, देवेन्द्र तो लम्बे समय से पार्टी से जुड़ा था, संगठन में भी महामंत्री के रूप में सेवा कर रहा था, पांच साल से बिना विधायक होते हुए भी तिगांव विधानसभा की जनता की सेवा कर रहा था, आखिर उसे टिकट क्यों नहीं दिया गया.
उपरोक्त विन्दुओं को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि पार्टी देवेन्द्र चौधरी को तिगांव विधानसभा से टिकट देकर भविष्य में शर्मशार होने से बचेगी, वरना जैसे ही किसी मंत्री के बेटे को टिकट दी जाएगी, देवेन्द्र के नाम से अख़बारों में खबर जरूर छपेगी और इस बात का जिक्र किया जाएगा कि जब इनको टिकट मिल सकती है तो देवेन्द्र को टिकट क्यों नहीं दी गयी.
उपरोक्त विन्दुओं को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि पार्टी देवेन्द्र चौधरी को तिगांव विधानसभा से टिकट देकर भविष्य में शर्मशार होने से बचेगी, वरना जैसे ही किसी मंत्री के बेटे को टिकट दी जाएगी, देवेन्द्र के नाम से अख़बारों में खबर जरूर छपेगी और इस बात का जिक्र किया जाएगा कि जब इनको टिकट मिल सकती है तो देवेन्द्र को टिकट क्यों नहीं दी गयी.
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