फरीदाबाद: पांच साल पहले हरियाणा में भाजपा की सरकार बनी थी, फरीदाबाद में भाजपा के तीन विधायक चुने गए थे, दो विधायक विपक्षी पार्टी से थे जो अब भाजपा में आ गए हैं.
बड़े आश्चर्य की बात है कि पाँचों विधायकों में से किसी में भाजपा प्रवक्ता बनने की भी काबिलियत नहीं है, कोई भी विधायक टीवी चैनलों पर भाजपा की तरफ से पार्टी का पक्ष रखते नहीं दिखता. भाजपा में टीवी चैनलों पर आपको कई नेता दिख जाएंगे तो विपक्षी पार्टियों के नेताओं से जोरदार बहस करते हैं और पार्टी का जोरदार पक्ष रखते हैं जैसे संबित पात्रा, फरीदाबाद के राजीव जेटली, नूपुर शर्मा, गौरव भाटिया, GVL नरसिम्हा राव आदि, लेकिन फरीदाबाद का शायद ही कोई नेता टीवी चैनलों पर दिखता हो.
बात दरअसल ये है कि कई विधायकों को खाने-कमाने से फुर्सत ही नहीं है इसलिए टीवी चैनलों पर जाने की उनके पास फुर्सत ही नहीं है, लेकिन भाजपा में सिर्फ खाने-कमाने वालों के लिए प्रमोशन नहीं है. जो पार्टी के लिए मेहनत करता है उसे ही आगे बढाया जाता है.
ऐसी चर्चा चल रही है कि फरीदाबाद में कई विधायकों की टिकट कटने वाली है क्योंकि पार्टी इन्हें अच्छी तरह से परख चुकी है. बडखल विधानसभा से राजीव जेटली को लड़ाया जा सकता है जो राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, प्रखर वक्ता हैं और पार्टी के अच्छे योद्धा हैं.
फरीदाबाद ओल्ड विधानसभा से फिर से विपुल गोयल को ही टिकट मिलेगी क्योंकि उनकी टक्कर का अन्य नेता नहीं है. NIT विधानसभा से तीन-चार नेता टिकट की लाइन में हैं जिसमें - यशवीर डागर, नीरा तोमर, बैजू ठाकुर और नगेंदर भडाना हैं.
इसी तरह से बल्लभगढ़ की टिकट भी बदली जा सकती है. टिकट की लाइन में दीपक चौधरी, आनंद शर्मा, शारदा राठौर हैं. शारदा राठौर फिलहाल कांग्रेस में हैं लेकिन अगर उन्हें भाजपा ने टिकट ऑफर किया तो हो सकता है कि वे भाजपा में शामिल हो जाएं, अगर ऐसा होगा तो उनकी जीत पक्की है. ये भी हो सकता है कि हुड्डा द्वारा नयी पार्टी बनाए जाने के बाद शारदा राठौर उनकी पार्टी से चुनाव लड़ें.
पृथला विधानसभा में भाजपा से तीन-चार उम्मीदवार टिकट की लाइन में हैं. सोहनपाल सिंह, नयनपाल रावत और टेकचंद शर्मा.
तिगांव विधानसभा से देवेन्द्र चौधरी टिकट के सबसे मजबूत दावेदार हैं, अगर उन्हें टिकट मिली तो जीत पक्की है. राजेश नागर भी दूसरे स्थान पर हैं.
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