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मरीजों के पैसों से बने ESI हॉस्पिटल में मरीजों को समझा जाता है जानवर, गार्डों-डॉक्टरों की गुंडई

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फरीदाबाद: प्राइवेट कर्मचारियों के पैसों से ही ESI हॉस्पिटल बनाए जाते हैं, डॉक्टरों को सैलरी दी जाती है, गार्डों को भी सैलरी दी जाती है, सब कुछ प्राइवेट कर्मचारियों के पैसों से ही किया जाता है लेकिन प्राइवेट कर्मचारी जब बीमार होकर फरीदाबाद NIT-3 के ESI हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती होते हैं तो उनके साथ जानवरों जैसा सुलूक किया जाता है, ना तो डॉक्टर तमीज से बात करते हैं, ना स्टाफ तमीज से बात करते हैं और ना ही सुरक्षा गार्ड तमीज से बात करते हैं. देखए ये वीडियो - 



डॉक्टर, स्टाफ और गार्ड यह समझते ही नहीं कि इन्हीं मरीजों के पैसों से उन्हें सैलरी दी जाती है, दरअसल अस्पताल के मालिक ये मरीज ही हैं, अगर ये हर महीनें अपनी सैलरी से पैसे ना कटवाएं तो ESI का सिस्टम चल ही नहीं पाएगा, मरीज जब भर्ती होते हैं तो डॉक्टर यह समझते हैं कि वे मरीजों को दवाई देकर अहसान कर रहे हैं, स्टाफ उन्हें जानवरों की तरह डांटते हैं, सुरक्षा गार्ड मरीजों को परिजनों से उन्हें मिलने नहीं देते, हमेशा डांटते-फटकारते रहते हैं. इस फोटो में देखिये, जानवरों की तरह मरीजों की भीड़ लगवा रखी है, टेस्ट की रिपोर्ट आने में कई कई हप्ते लग जाते हैं, अल्ट्रासाउंड के लिए 15-20 दिन की तारीख दी जाती है.


आज तो हद हो गयी, आठवीं फ्लोर पर मेडिकल वार्ड में बेड नंबर 12 पर भर्ती एक मरीज से कंपनी का मालिक मिलने आया था. उसके साथ दो और लोग थे, कुछ जरूरी पूछताछ कर रहे थे, गार्ड से उन्हें बाहर जाने को बोला तो कंपनी मालिक बोला थोडा जरूरी बात करनी है, इसके बाद गार्ड दोबारा आया और जिस स्टोर पर एक लड़का बैठा था उसे लात मार दी, इसके बाद कंपनी मालिक को गुस्सा आ गया और गार्ड के साथ जमकर बहस हुई. गार्ड बोला - डॉक्टर मरीजों के साथ उनसे मिलने वालों को देखकर नाराज होते हैं, डॉक्टर ना हुए प्रधानमंत्री हो गए ये तो.

उसके बाद दो तीन गार्ड इकठ्ठे हो गया, एक गार्ड से कहा कि किसी को मिलने मत दो, ऐसा लगा जैसे हॉस्पिटल उसी का है, उसे यह नहीं पता कि अस्पताल का मालिक यही मरीज हैं. ESI प्रशासन को अपने डॉक्टरों, स्टाफ और गार्डों को बताना चाहिए कि अस्पताल के मालिक ये मरीज ही हैं, इनसे नरमी से पेश आयें, इनका हमेशा मान सम्मान करें, देखते हैं यह सुधार कब होता है.
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