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खट्टर पर बरसे LN पाराशर, गरीबों के बारे में कभी नहीं सोचा, चंद भूमाफियाओं के लिए बदल दिया एक्ट

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फरीदाबाद: हरियाणा सरकार गरीबों की नहीं अमीरों की सरकार है और हाल में विधानसभा में पीएलपीए ऐक्ट में संशोधन कर सरकार ने दिखा दिया कि वो बड़े लोगों का कितना ख़याल रखती है लेकिन सरकार के मंसूबों पर सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेर दिया और अब मैं अरावली को लेकर अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करूंगा और ये याचिका फरीदाबाद ही नहीं पूरी अरावली को बचाने के लिए होगी। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर का जिन्होंने कहा कि सरकार को हर किसी का ध्यान रखना चाहिए क्यू कि गरीब भी सरकार को वोट देते हैं। उन्होंने कहा कि गरीबों के वोट लेकर कुर्सी पर बैठने वाले अमीरों को मालामाल करने का बड़ा प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि ऐक्ट में संशोधन से अमीर अरावली पर बड़ी-बड़ी इमारतें बना मालामाल होते और अरावली क्षेत्र की जनता प्रदूषण से बेमौत मरती। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल कहते हैं कि मैं गरीब परिवार से हूँ और मैंने टिंडे बेंचे हैं।

पाराशर ने कहा कि एक बार सीएम खट्टर ने खुद कहा था कि जब मैं आठवीं कक्षा में पढता था तो उनके पिता एक किसान थे और उनके पिता ने जब उनको कहा कि इस खेत की सारी फसल को आप बेच कर आंएगे तो जो भी फसल के पैसे मिलेंगें वो आपके होंगें। ये बात सुनकर उन्हें खुशी मिली और कहा कि ठीक हैं मैं यह कार्य कर लूंगा। मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनके पिता ने खेत में टिण्डे की सब्जी को उगाया हुआ था और वे एक महीने तक इस सब्जी को साइकिल पर ले जाकर रोहतक की मंडी में बेचते थे, जिससे उन्हें कुल 108 रूपए की कमाई हुई थी। तब उनके पिता ने उनसे कहा कि यह सभी पैसे आपके हैं आप क्या लेना चाहते हों, इस पर उन्होंने कहा कि वे एक हाथ की घडी लेना चाहते हैं जो उस समय 105 रूपए की आई और शेष पैसों में ओर पैसे मिलाकर एक आक्सफोर्ड की डिक्शनरी ली थी।

पराशर ने कहा कि जब सीएम ने इतनी गरीबी देखी है तो हरियाणा के गरीबों का भी ख़याल रखें। ऐसे नियम कानून न बनायें जिससे जनता को परेशानी झेलनी पड़े। प्रदूषण झेलना पड़े। उन्होंने कहा कि खट्टर ने जो बिल पास किया था उसे वापस ले लेना चाहिए।
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