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कुछ लोग मुझे बदनाम करना चाहते हैं CP साहब, इनके खिलाफ एक्शन लीजिये, FIR रद्द कीजिये: बैजू ठाकुर

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फरीदाबाद: फरीदाबाद के नामी फाइनेंसर और समाजसेवी बैजू ठाकुर ने पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत भेजी है. उन्होंने शिकायत में लिखा है कि कुछ लोग मुझे जान बूझकर एक साजिश के तहत बदनाम करना चाहते हैं इसलिए इन लोगों के खिलाफ एक्शन लीजिये. उन्होंने FIR नंबर 853 भी रद्द करने की अपील की है जिसमें आरोपी का नाम ब्रिजेश ठाकुर लिखा है लेकिन उनका मोबाइल नंबर लिखा गया है जिसकी वजह से उनके पास सैकड़ों लोगों के फोन आ रहे हैं, इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी उनके बारे में मनगढ़ंत ख़बरें छापी जा रही हैं और उनकी प्रतिष्ठा एवं मान सम्मान को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.

क्या है पूरा मामला?

24 दिसम्बर को मुजेसर थाने में एक FIR-853 दर्ज हुई थी. यह FIR अनेजा स्टील के मालिक दिनेश अनेजा की तरफ से दर्ज करवाई थी. FIR में दो आरोपी हैं - ब्रिजेश ठाकुर और दिनेश शर्मा. 

ब्रिजेश ठाकुर का मोबाइल नंबर - 9811820868 लिखा है लेकिन जब हमने नंबर डायल किया तो शहर के नामी समाजसेवी बैजू ठाकुर (घनश्याम ठाकुर) के पास फोन चला गया. हमने उनसे पूछा - आप ब्रिजेश ठाकुर बोल रहे हैं तो उन्होंने कहा कि मैं तो बैजू ठाकुर बोल रहा हूँ, मैंने कहा - आपके नाम पर FIR दर्ज हुई है तो उन्होंने कहा - जिस व्यक्ति को मेरा नाम ही नहीं पता है, आप खुद ही समझ सकते हैं कि उस FIR और उसमें लगाए गए आरोपों की क्या सत्यता होगी. 

क्या लिखा है FIR में - 

शिकायतकर्ता ने ब्रिजेश ठाकुर और दिनेश शर्मा पर - अवैध कब्जे, आपराधिक कार्य और चोरी के आरोप लगाए हैं, दिनेश शर्मा का मोबाइल - 9354201956 लिखा है जबकि ब्रिजेश ठाकुर का मोबाइल - 9811820868 लिखा है जो बैजू ठाकुर उर्फ़ घनश्याम ठाकुर के पास जा रहा है. 

दिनेश अनेजा ने लिखा है - मैं प्लाट - 22A NIT पर अनेजा स्टील नाम से एक बिजनेस चलाता हूँ, मैंने इस प्लाट पर कब्जा कपिल मलिक से हासिल किया था जो विक्ट्री इंजीनियरिंग वर्क्स के प्रोप्राइटर हैं और इस प्लाट पर 1999 से बिजनेस कर रहे थे.

मैंने 2006 में यह प्लाट किराए पर लिया था लेकिन बाद में मैंने विक्ट्री इंजीनियरिंग का शेयर खरीद लिया और इसका मालिक बन गया. रेंट अग्रीमेंट और पार्टनरशिप अग्रीमेंट शिकायत के साथ दिया गया है.

मैंने इस प्लाट पर कब्जा पाने के बाद शांतिपूर्ण तरीके से बिजनेस कर रहा था, मैंने ESI बिल और इलेक्ट्रिसिटी बिल भी भरा है.

इस दौरान इस प्लाट के खिलाफ एक मुकदमा U/s 13 ऑफ़ हरियाणा रेंट कंट्रोलर एंड एविक्शन, टाइटल - अशोक शर्मा Vs कपिल मलिक के नाम से अदालत में चल रहा था और अशोक शर्मा के हक में फैसला आया था.

उसके बाद मैंने सेशन कोर्ट में अपील की लेकिन मेरी अपील डिसमिस हो गयी, उसके बाद अशोक शर्मा ने मिस्टर तरुण सिंह (सीनियर डिविजन) की कोर्ट में Execution फ़ाइल की लेकिन 15.05.2018 को अशोक शर्मा की अपील खारिज हो गयी और हमारे हक में फैसला आ गया.

नवम्बर 2018 में मुझे पता चला कि कुछ गुंडे, भू-माफिया, चोर और आपराधिक तत्त्व ब्रिजेश ठाकुर के साथ आये जबरदस्ती प्लाट पर कब्जा करने की कोशिश की. मेरे बेटे ने तुरंत SHO मुजेसर को फोन किया, उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि उनके साथ कुछ भी गलत नहीं होगा. उसके बाद हमने एक शिकायत 23.11.2018 को ऑनलाइन दी जिसमें लिखा - 

चोरों का एक गैंग और गुंडा एलिमेंट 22.12.2018 शनिवार की रात को हमारे प्लाट पर आये और कब्जा करने की कोशिश की, उस समय मेरा कर्मचारी सुरेश अब्रोल वहां पर मौजूद था. इन लोगों ने प्लाट पर कब्जा करने के साथ साथ सभी टीवी, कंप्यूटर, बिल बुक्स, हार्ड डिस्क, GST चालान रजिस्टर, मेरी फैक्ट्री के सभी लेजर रिकार्ड्स, बिल बुक्स,  वाउचर, बिजली बिल, हाउस टैक्स बिल आदि डिस्पोज कर दिया. बाद में मुझे पता चला कि इन लोगों का काम ही यही है, ये लोग प्रॉपर्टी को विवादित बनाकर कोर्ट के जरिये स्टे ले लेते हैं और पैसों की उगाही करते हैं. 

FIR की कॉपी नीचे दी गयी है.

इस मामले में जब बैजू ठाकुर से पक्ष जाना गया तो उन्होंने कहा कि मुझपर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं, एक तो शिकायतकर्ता को मेरा नाम ही नहीं पता, दूसरा जिस दिन मुझपर आरोप लगाए जा रहे हैं उस दिन मेरी दुकान का उद्घाटन था और एक बड़ा कार्यक्रम था जिसमें शहर के सैकड़ों नामचीन लोग आये थे जिसका मेरे पास वीडियो मौजूद है.

बैजू ठाकुर ने पुलिस कमिश्नर के पास भेजी शिकायत

इस मामले में बैजू ठाकुर ने खुद को पाक साफ़ बताया है. उन्होंने कहा कि आरोपी को पता है कि मैं उसके खिलाफ एक्शन ले सकता हूँ इसलिए उसनें जान बूझकर FIR में ब्रिजेश ठाकुर लिखवाया और मोबाइल नंबर मेरा लिखवा दिया ताकि लोग मुझे फोन करके परेशान करें, इसके बाद शिकायतकर्ता ने सोशल मीडिया पर मेरे नाम से ख़बरें छपवा दीं और मेरी लोकप्रियता से जलन रखने वालों ने उन ख़बरों को शेयर किया. बैजू ठाकुर ने बताया कि आज तक मैंने किसी के घर-दुकान या मकान पर कब्ज़ा नहीं किया, मेरा फाइनेंस का काम है, मेरी समाज में प्रतिष्ठा एवं मान सम्मान है. सोशल मीडिया पर मुझे नेता भी बताया जा रहा है, अगर मैं नेता बनता चाहता हूँ तो क्या मेरा दिमाग खराब है कि मैं किसी की कंपनी पर कब्जा करने जाऊँगा, वो भी उस व्यक्ति की कंपनी पर जिसे जज का बेटा-भाई बताया जा रहा है.

बैजू ठाकुर ने उन्हें बदनाम करने की साजिश रचने वालों के खिलाफ पुलिस कमिश्नर से कानूनी कार्यवाही की मांग की है और FIR-853 को रद्द करने की मांग की है क्योंकि उनका विवादित प्लाट से कुछ लेना देना नहीं है, उनकी पुलिस थाने में शिकायतकर्ता से जरूर बहस हुई थी लेकिन कब्जा करने और लूटपाट के आरोप फर्जी, मनगढ़ंत और बेबुनियाद हैं.

शिकायत पर क्यों उठ रहे सवाल

शिकायत पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि शिकायतकर्ता ने आरोप सोच समझकर और कुछ उदाहरण देकर भी लगाए हैं लेकिन ब्रिजेश ठाकुर के मोबाइल नंबर के स्थान पर बैजू ठाकुर का मोबाइल कैसे लिख दिया? आखिर नाम लिखने या नंबर लिखने में गलती कैसे हो गयी?

अगर शिकायतकर्ता ने यह आरोप बैजू ठाकुर पर लगाए गए हैं तो जिस व्यक्ति को बैजू ठाकुर का कागजी नाम (घनश्याम ठाकुर) ही नहीं पता, वह दावे के साथ कैसे कह सकता है कि उसकी फैक्ट्री पर कब्जा करने के लिए बैजू ठाकुर ही गए थे.

अगर बैजू ठाकुर उसकी फैक्ट्री पर कब्जा करने गए थे तो फैक्ट्री के CCTV कैमरे में बैजू ठाकुर की तस्वीर या घटना की वीडियो जरूर रिकॉर्ड होगी.

अगर फैक्ट्री में CCTV नहीं लगा है तो इसका मतलब है कि सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है. कुछ ना कुछ झालमेल हो सकता है या मामला संदेहास्पद हो सकता है.

शिकायतकर्ता ने FIR में सिर्फ दो लोगों के नाम लिखा है जबकि उसका कहना है कि कई लोग आये थे, FIR में कहीं नहीं लिखा है कि वहां पर कितने लोग थे. उस वक्त कंपनी का एक कर्मचारी भी था, उसने जरूर आदमियों को काउंट किया होगा क्योंकि उसके साथ ना तो मारपीट का जिक्र है और ना ही कहीं चोट का जिक्र है. इसका मतलब है कि उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया गया. अगर उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया गया तो उसे यह क्यों नहीं पता कि कब्जा करने कितने लोग आये थे. 

अगर शिकायतकर्ता ने ब्रिजेश ठाकुर पर FIR दर्ज कराई है और गलती से बैजू ठाकुर का मोबाइल नंबर लिखवा दिया है तो आखिर ब्रिजेश ठाकुर कौन है.

खैर इस सबकी जांच करना पुलिस का काम है, अब देखना है कि पुलिस इस मामले को किस प्रकार से हैंडल करती है. मामला हाईप्रोफाइल है इसलिए पुलिस सोच समझकर इसकी छानबीन करेगी और सच्चाई जरूर सबके सामने लाएगी.
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