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3 महीनें से बंद है डब्बा अस्पताल ESI का ICU, प्राइवेट अस्पतालों की करवाई जा रही करोड़ों की कमाई

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फरीदाबाद: अरबों रुपये में फरीदाबाद का ESI मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनवाया गया है, बिल्डिंग की उंचाई देखकर दिल्ली का AIIMS भी शर्माता है लेकिन सुविधाओं के मामले में यह अस्पताल डब्बा है. 

अस्पताल का ICU तीन महीनें से बंद है और इसी वजह से मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रिफर करके उनकी करोड़ों रुपये की कमाई करवाई जा रही है, अगर यहाँ का ICU खुला रहता और डॉक्टर होते तो हर माह सरकार के करोड़ों रुपये प्राइवेट अस्पतालों में जाने से बचते लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ऑंखें बंद करके बैठी है, सरकार की नाकामी की वजह से उसका खुद का करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है साथ ही ESI कार्डधारक मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों के धक्के खाने पड़ रहे हैं.

वैसे तो यह अस्पताल पूरा डब्बा है, रात में पहले एक डॉक्टर रहता था लेकिन पिछले दिनों जब हमने खबर दिखाई तो तीन चार डॉक्टरों को रखा गया है लेकिन इसका कोई फायदा नहीं है क्योंकि रात में जब कोई सीरियस मरीज आता है तो ICU बंद होने की वजह से उसे प्राइवेट अस्पतालों में रिफर कर दिया जाता है, कई बार ICU बंद होने से सीरियस मरीजों की ESI अस्पताल में ही मौत हो जाती है, पिछले दिनों दो तीन मौतों की हमें खबर भी दिखाई थी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकारी तंत्र इतना लचर है कि यहाँ पर अपना खुद का ICU नहीं शुरू कर पाया, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप नीति से यहाँ अगस्त 2014 में ICU शुरू किया गया था, निजी संस्थान ने शुरुआती तौर पर यहाँ 30 बेड का ICU शुरू किया था लेकिन बाद में 15 बेड का कर दिया.

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अब ICU बंद होने से यहाँ के कर्मचारी भी परेशान हैं क्योंकि तीन महीनें से उन्हें वेतन नहीं मिला है. इसके अलावा ESI के मरीज भी परेशान हैं क्योंकि उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में रिफर कर दिया जाता है और उन्हें धक्के खाने पड़ते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस अस्पताल को फरीदाबाद और पलवल के करीब 6 लाख ESI कार्डधारकों को अच्छे इलाज की सुविधा देने के लिए बनवाया गया था, अस्पताल की बिल्सिंग बनवाने में 10 साल लग गए लेकिन यहाँ पर इलाज की सुविधाएं अभी तक नहीं उपलब्ध करवाई जा सकीं. करीब 90 फ़ीसदी मरीज और उनके परिजन यहाँ से दुखी होकर निकलते हैं जिसका नुकसान भाजपा को आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हो सकता है.

कई बार हमारे पास ऐसी भी सूचनाएं आती हैं कि मरीजों को जान बूझकर प्राइवेट अस्पतालों में रिफर करके करोड़ों रुपये का कमीशन खाया जाता है, प्राइवेट अस्पताल कम से कम चार पांच लाख का बिल बनाते हैं जिसमें से लाखों रुपये रिफर करने वालों और ESI अस्पताल के बड़े अधिकारियों तक पहुँचते हैं, सरकार को इसपर तुरंत ध्यान देना चाहिए वरना घोटालेबाजों के चक्कर में उनकी सरकार उखाड़कर फेंक दी जाएगी.
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