फरीदाबाद 29 अगस्त 2018: भीमा कोरेगांव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रचने के आरोप में 5 ह्यूमन राइट एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर पुलिस पर दबाव बनाने वाले ह्यूमन राइट कमीशन पर फरीदाबाद जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एल एन पाराशर ने निशाना साधा है.
वकील पाराशर ने कहा कि मैं कई महीनों से कहता आ रहा हूं, ह्यूमन राइट कमीशन अपने रास्ते से भटक गया है और अपराधियों, उग्रवादियों और बदमाशों के लिए आवाज उठाता है. इस मामले में पुलिस को जांच करने की छूट मिलनी चाहिए थी लेकिन ह्यूमन राइट कमीशन एक बार फिर से पुलिस की रास्ते में रोड़ा डाल रहा है.
वकील पराशर ने आरोपियों के बारे में बताते हुए कहा की इनकी जांच होनी चाहिए अगर इन्हें दोषी पाया जाता है तो कड़ी सजा मिलनी चाहिए अगर यह निर्दोष पाए जाते हैं तो इन्हें बाइज्जत बरी करना कानून का काम है लेकिन देश के नेताओं को पुलिस के काम में दखल नहीं देना चाहिए.
वकील पाराशर ने नक्सलियों के बारे में बताते हुए कहा नक्सली दो तरह के होते हैं एक अर्बन नक्सली जो पढ़े लिखे होते हैं और दूसरे जंगल वाले नक्सली जो हथियार लेकर खून खराबा करते हैं. उन्होंने बताया कि हमले की प्लानिंग पढ़े-लिखे नक्सली करते हैं और उसे अंजाम जंगली नक्सली करते हैं. मेरी नजर में अर्बन नक्सली ज्यादा खतरनाक है क्योंकि प्लानिंग वही लोग करते हैं और दो समुदायों, दो जातियों, दो धर्मों के बीच दंगा फसाद एवं दुश्मनी करवाते हैं.
वकील पाराशर ने भीमा कोरेगांव का उदाहरण देते हुए कहा -इन्हीं अर्बन नक्सलियों की वजह से भीमा कोरेगांव में दंगा हुआ, दो समुदायों के बीच मनमुटाव पैदा हो गया जिसकी वजह से पूरे देश में दो समुदायों के बीच में मनमुटाव पैदा हुआ और सैकड़ों सैकड़ों लोगों की जान चली गई.
वकील पाराशर ने बताया - गिरफ्तार किए गए पांचों ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट के खिलाफ धारा 153 ए, धारा 505 धारा, 117 और धारा 120 बी के तहत मामला दर्ज हुआ है पुलिस मामले की जांच कर रही है अगर इन्हें दोषी पाया गया तो इन्हें सजा मिलेगी अगर निर्दोष पाए गए यह बाइज्जत बरी हो जाएंगे.
उन्होंने बताया कि कल एक आरोपी सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद कोर्ट में पेश करने के लिए लाया गया था तो कुछ लोगों ने कहा कि FIR में उनका नाम नहीं है, क्या कोई डकैत किसी वारदात में अपना नाम छोड़कर जाता है, पुलिस के पास पावर होती है कि वह FIR में नाम ना होने के बाद भी आरोपियों को अरेस्ट कर सकता है.
वकील पाराशर ने यह भी कहा कि पुलिस और प्रशासन को अगर उनके मुताबिक काम करने दिया जाए तो देश में अपराध की घटनाएं 50 % अपने आप ही कम हो जाएंगी लेकिन नेता लोग उनके काम में टांग अड़ा कर अपराधियों का मनोबल बढ़ाते हैं और पुलिस का मनोबल तोड़ते हैं इसलिए नेताओं को पुलिस के काम में दखल देना बंद कर देना चाहिए.
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