फरीदाबाद 30 अगस्त 2018: जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एल एन पाराशर ने पुलिस के काम में टांग अड़ाने वाले नेताओं पर निशाना साधा है.
उन्होंने कहा कि अगर नेता लोग पुलिस के काम में दखल देना बंद कर दें तो पुलिस के पास इतनी पावर होती है कि वह अपराध को 80 फ़ीसदी तक वैसे ही खत्म कर सकती है, लेकिन नेता लोग पुलिस के काम में दखल देकर अपराधियों को बचाने का प्रयास करते हैं, पुलिस वाले मेहनत करके अपराधियों को गिरफ्तार करते हैं लेकिन नेता लोग उन्हें छुड़ा देते हैं जिसकी वजह से अपराधियों का मनोबल बढ़ जाता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वकील पाराशर कई वर्षों से फरीदाबाद कोर्ट में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, उनका मानना है कि कोर्ट में कुछ जजों की वजह से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है अगर इन्हें हटाकर घर पर बिठा दिया जाए तो भ्रष्टाचार कम हो जाएगा. उन्होंने बताया कि एक कोर्ट में एक ही तरह के केस में एक आरोपी के खिलाफ गवाही होने पर भी उसे बरी कर दिया जाता है जबकि दूसरी केस में आरोपी के पक्ष में गवाही होने पर भी उसे आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई.
उन्होंने कहा कि अगर नेता लोग पुलिस के काम में दखल देना बंद कर दें तो पुलिस के पास इतनी पावर होती है कि वह अपराध को 80 फ़ीसदी तक वैसे ही खत्म कर सकती है, लेकिन नेता लोग पुलिस के काम में दखल देकर अपराधियों को बचाने का प्रयास करते हैं, पुलिस वाले मेहनत करके अपराधियों को गिरफ्तार करते हैं लेकिन नेता लोग उन्हें छुड़ा देते हैं जिसकी वजह से अपराधियों का मनोबल बढ़ जाता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वकील पाराशर कई वर्षों से फरीदाबाद कोर्ट में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, उनका मानना है कि कोर्ट में कुछ जजों की वजह से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है अगर इन्हें हटाकर घर पर बिठा दिया जाए तो भ्रष्टाचार कम हो जाएगा. उन्होंने बताया कि एक कोर्ट में एक ही तरह के केस में एक आरोपी के खिलाफ गवाही होने पर भी उसे बरी कर दिया जाता है जबकि दूसरी केस में आरोपी के पक्ष में गवाही होने पर भी उसे आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई.
भीमा कोरेगांव कांड में पांच ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी पर बोलते हुए वकील पाराशर ने कहा कि मैं कई महीनों से कहता आ रहा हूं, ह्यूमन राइट कमीशन अपने रास्ते से भटक गया है और अपराधियों, उग्रवादियों और बदमाशों के लिए आवाज उठाता है. इस मामले में पुलिस को जांच करने की छूट मिलनी चाहिए थी लेकिन ह्यूमन राइट कमीशन एक बार फिर से पुलिस के रास्ते में रोड़ा डाल रहा है. इसके अलावा नेता लोग भी पुलिस के काम में दखल दे रहे हैं जो सही नहीं है.
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