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शहीद भगत सिंह को सम्मान दिलाने के लिए सुरेंदर सिंह बिधूड़ी ने शुरू की सबसे बड़ी लड़ाई, पढ़ें

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नई दिल्ली: भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपने बारे में सोच रहा है लेकिन दिल्ली के युवा नेता सुरेन्द्र सिंह बिधूड़ी ने शहीदों को उनका हक दिलाने के लिए 95 दिन तक शहीद स्वाभिमान यात्रा निकाली, वह 29 राज्यों में रथ लेकर गए और 95 दिनों में 25 हजार किलोमीटर का सफ़र तय किया. शहीद भगत सिंह को सम्मान दिलाने के लिए इतनी बड़ी लड़ाई अब तक शायद किसी ने नहीं लड़ी होगी.

सुरेन्द्र सिंह बिधूड़ी ने बताया कि उनकी यात्रा 29 मार्च 2018 को इंडिया गेट से शुरू हुई और 95 दिन बाद 25 जून 2018 को दिल्ली वापस आकर समाप्त हुई. उन्होंने बताया कि शहीदों के बारे में सोचते सोचते, उनके बारे में जानकारी हासिल करते 95 दिन कैसे बीत गए मुझे पता ही नहीं चला, हम एक मिशन पर निकले थे, हमारे लिए हर रोज एक नया दिन होता था, हमें रोज नए लोग मिलते थे, जहाँ हमें कोई नहीं जनता था वहां पर हमें अधिक समर्थन मिलता था, नार्थ ईस्ट में हमें बहुत समर्थन मिला, मीडिया के लोगों ने भी हमारा बहुत समर्थन किया, सबसे अच्छा अनुभव साउथ में रहा क्योंकि हमें वहां की भाषा नहीं आती थी उसके बावजूद भी उन्होंने हमारा बहुत समर्थन किया.

जब सुरेन्द्र सिंह बिधूड़ी ने उनकी यात्रा के उद्देश्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूँ शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा मिले और दिल्ली-NCR में किसी स्थान पर उनकी विशालकाय मूर्ति एवं स्मारक बने जहाँ पर पूरे देश से लोग आयें और उनके बारे में जानकारी हासिल करें, मैं चाहता हूँ कि आने वाली पीढ़ी को पता रहे कि हमारे शहीदों ने किस प्रकार से देश के लिए अपनी कुर्बानी दी थी.

बिधूड़ी ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि भगत सिंह की मूर्ति बनाने के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए साथ ही उन्हें शहीद का दर्जा भी दिया जाए. बिधूड़ी ने कहा कि उन्हें यह देखकर बहुत दुःख होता है कि भारत को आजादी दिलाने के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले भगत सिंह को कुछ किताबों में आज भी आतंकवादी पढ़ाया जाता है.

उन्होंने बताया कि हम फिर से सभी राज्यों में अलग अलग यात्रा निकालने वाले हैं, हम 30 दिन तक दिल्ली में भी यात्रा निकालेंगे और हर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जाकर छात्रों से समर्थन एवं आर्थिक मदद मांगेंगे, हम छात्रों से कहेंगे कि आप स्टेचू मनाने में कुछ ना कुछ मदद करेंगे भले ही 1 रुपये या 10 रुपये की मदद हो. युवाओं को यह लगना चाहिए कि शहीद भगत सिंह की स्टेचू बनाने में उनका भी योगदान रहा है भले ही वह 1 रुपये हो.

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Faridabad News

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