फरीदाबाद: ऐसा लगता है कि फरीदाबाद की किस्मत खराब है और यहाँ के लोगों को ऐसे ही अपराध का सामना करना पड़ेगा, ऐसा इसलिए क्योंकि जब यहाँ पर कड़क पुलिस कमिश्नर आता है तो उसे स्थानीय नेता पसंद नहीं करते और उसका तबादला करवा देते हैं, लेकिन जब यहाँ पर सॉफ्ट पुलिस कमिश्नर आता है तो उसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पसंद नहीं करते और उसका तबादला कर देते हैं. डॉ हनीफ कुरैशी को ईमानदार और सॉफ्ट नेचर वाला अफसर माना जाता था लेकिन उनके राज में अपराधी ज्यादा हावी हो गए, फरीदाबाद में अपराध इस कदर बढ़ गया कि कल मुख्यमंत्री खट्टर ने उनका तबादला कर दिया.
इससे पहले यहाँ पर सुभाष यादव को कड़क पुलिस कमिश्नर माना जाता था, उन्होने गुंडों और अपराधियों पर इस कदर डंडा चलाया कि स्थानीय नेताओं को वो खटकने लगे और सिर्फ 6 महीनें में उनका ट्रान्सफर करवा दिया. अगर वो 2-3 साल यहाँ पर रुक जाते तो अपराधी या तो अपराध करना बंद कर देते या फरीदाबाद छोड़कर भाग जाते.
ऐसा कहा जाता है कि सुभाष यादव किसी भी अपराधी पर रहम नहीं खाते थे, अपराधियों को छोड़ने के लिए जब नेता, विधायक फोन करते थे तो सुभाष यादव उनकी भी बात नहीं सुनते थे, कई बार वह नेताओं के फोन ही नहीं उठाते थे. यही बात नेताओं को खटकने लगी. उन्हें सितम्बर 2015 में फरीदाबाद का पुलिस कमिश्नर बनाया गया था लेकिन सिर्फ 6-7 महीनें में उनका ट्रान्सफर कर दिया गया.
जैसा फिल्मों में होता है, वैसा ही हुआ था सुभाष यादव का ट्रान्सफर
आपने फिल्मों में देखा होगा कि जब भी कोई बहादुर पुलिस अफसर बदमाशों की पर डंडा चलाता है तो शहर के बड़े बड़े बदमाश नेताओं और मंत्रियों के पास शिफारिश लेकर पहुँच जाते हैं और नेता पर दबाव बनाकर उस बहादुर पुलिस ऑफिसर का शहर से कहीं दूर बीहड़ में ट्रान्सफर करवा देते हैं, ये तो फिल्मों में होता था लेकिन फरीदाबाद में यह रियल लाइफ में हुआ था.
सुभाष यादव पिछले वर्ष 2015 के सितम्बर महीने में फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर बनकर आये थे, वे ड्यूटी संभालते ही फरीदाबाद के बदमाशों पर कहर बनकर टूट पड़े, रात में जहाँ भी बदमाश दिखते पुलिस उन्हें पकड़कर सीधा अन्दर कर देती थी, शाराबी अपनी औकात से बाहर आते तो पुलिस उन्हें अन्दर कर देती थी, कोई बदमाश किसी महिला से छेडछाड़ करते देखा जाता तो पुलिस उसे अन्दर कर देती थी, फरीदाबाद में अवैध शराब का धंधा जोरों पर था, सुभाष यादव की दबंगई से शराब माफियाओं को बेचैनी होने लगी, कई शराब माफियाओं पर कार्यवाही भी हुई लेकिन सुभाष यादव फरीदाबाद को अपराध से मुक्त कर पाते इससे पहले बदमाशों ने फरीदाबाद के बड़े नेताओं से मिलकर उनका करनाल में तबादला करवा दिया।
कमिश्नर सुभाष यादव का क्यों कराया गया ट्रान्सफर
सुभाष यादव की गलती सिर्फ इतनी थी कि जब वो बदमाशों को पकड़ते थे और उन्हें छुड़ाने के लिए नेता, विधायक फोन करते थे तो वे उनकी बात नहीं मानते थे, जब भी वो बदमाशों को पकड़ते थे तो स्थानीय नेता बदमाशों को अपना आदमी बताकर उन्हें छोड़ने के लिए कहते थे, लेकिन वो नेताओं को मना कर देते थे, जब नेताओं से देखा कि कमिश्नर उनकी बात नहीं मानता है तो उन्होंने आपस में सलाह करके सुभाष यादव का ट्रान्सफर करवा दिया। सुभाष यादव के बाद हनीफ कुरैशी को फरीदाबाद का कमिश्नर बनाया गया जिनका कार्यकाल करीब पौने दो साल का रहा.
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