फरीदाबाद, 3 जुलाई: फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया गया था, स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड PSU कंपनी बनायी गयी जहाँ काम करने वाली CEO और अन्य स्टाफ की सैलरी सरकार के खजाने से जाती है, MCF पर भी हर महीनें करीब 30 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, इसके अलावा सांसद, विधायक और पार्षद को भी विकास के लिए फंड दिया जाता है.
इतना सब कुछ होते हुए भी फरीदाबाद की सड़कों पर जगह जगह गड्ढे हैं, बारिश के बाद सीवरेज सिस्टम फेल हो जाता है, कई जगह कीचड और दलदल जैसी हालत हो जाती है. यहाँ तक कि हाईवे और स्मार्ट रोड पर भी पानी भर जाता है.
इस वक्त फरीदाबाद की जनता परेशान है. बड़े बड़े गड्ढों, कीचड़ और दलदल की वजह से वाहन चालकों को ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ रहा है. जहाँ 5 मिनट में पहुंचा जा सकता है वहां पहुँचने में 25 मिनट लग जाते हैं और पेट्रोल डीजल कई गुना अधिक खर्च होता है, पेट्रोल वैसे ही 100 रुपये के पास पहुँच गया है.
जनता इसका जिम्मेदार नेताओं को मान रही है, जनता का कहना है कि नेता लोग क्षेत्र का नहीं बल्कि अपना विकास करने में विजी हैं, नेताओं के घरों और दफ्तरों के पास विकास की विकास दिखता है जबकि शहर के मुख्य सड़कों पर बड़े बड़े गड्ढे हैं और कॉलोनी की सड़कों और सीवरेज सिस्टम का बुरा हाल है.
वहीं नेता सोच रहे हैं कि बारिश के बाद सड़कों पर जलभराव की समस्या ख़त्म हो जाएगी, कीचड और दलदल ख़त्म हो जाएगी, गड्ढे भर दिए जाएंगे तो जनता सभी कष्टों और दुःख तकलीफों को भूल जाएगी और अपने आप हमें वोट देगी या बड़े नेता के नाम पर हमें वोट देगी।
नेता लोग सोच रहे होंगे कि जनता भूल जाएगी कि बहुत मुश्किल से 100 रुपये प्रति लीटर वाला पेट्रोल खरीदकर सफर करती है और जहाँ पहुँचने में 100 रुपये का पेट्रोल लगना चाहिए वहां पहुँचने में 500 रुपये का पेट्रोल खर्च हो जाता है, नेता लोग सोच रहे होंगे कि जनता भूल जाएगी कि मंहगा पेट्रोल डीजल खरीदकर और गड्ढों में कई कई घंटों तक फंसकर उनका तीन चार महीनों में 20 - 30 हजार रुपये फालतू खर्च हो जाता है. नेता लोग सोच रहे होंगे कि जनता सभी दुःख तकलीफ भूलकर हर बार की तरह हमें ही वोट देगी चाहे कितना भी कष्ट झेलना पड़े.
नेता लोग सोच रहे होंगे कि चुनावों के समय हम फिर से खूब पैसे खर्च करेंगे, खूब लंगर और पार्टियां करेंगे, पैसे खर्च करके बड़े बड़ी रैलियां करेंगे और बिकाऊ भीड़ अपने साथ लेकर लेकर चलेंगे और जनता यह सब देख कर हमें अपने आप वोट देगी, जनता यह नहीं देखेगी कि उम्मीदवार कितना पढ़ा लिखा है, जनता सिर्फ पैसे का दम देखेगी और हमें बड़ा नेता समझकर हमें हर बार की तरह वोट देगी, जनता यह नहीं देखेगी कि उम्मीदवार ईमानदार है या नहीं, जनता सिर्फ पार्टी और पैसा देखेगी, नेता सोच रहे होंगे कि हम कितना भी भ्रष्टाचार करके पैसे कमा लें, जनता सब कुछ भूल जाएगी।
अब देखते हैं कि आगे क्या होता है. कुछ वीडियो आप जरूर देखिए -
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