नई दिल्ली: सुपर पावर देश अमेरिका कोरोना वायरस का सबसे बड़ा शिकार बन गया है, वहां पर करीब 11000 लोगों की मौत हो चुकी है और रोजाना 1000 से अधिक लोगों की मौत हो रही है, वर्तमान में अमेरिका में 367,385 लोग कोरोना से संक्रमित हैं और यह ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, अमेरिका की तुलना में भारत में कोरोना धीमी रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है.
अमेरिका की हालत इतनी ख़राब हो चुकी है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी परेशान हो चुके हैं, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज में कारगर साबित हो रही है लेकिन यह दवा अमेरिका के पास अधिक मात्रा में नहीं है, जबकि भारत में यह दवा मौजूद है.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दवा के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा दिया है क्योंकि भारत में कोरोना संक्रमण बढ़ने पर इस दवाई की जरूरत पड़ेगी। अमेरिका ने भी भारत से यह दवाई खरीदने की अर्जी दी थी जिसे मोदी सरकार ने अभी तक मंजूर नहीं किया है.
दो दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत की और अमेरिका का बिल पास करने की प्रार्थना की, मोदी सरकार ने इस पर फैसला नहीं लिया है हालाँकि मोदी ने US इंडिया पार्टनरशिप के तहत अमेरिका की पूरी मदद करने का भरोसा दिया है.
कल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वाइट हाउस से जनता को सम्बोधित किया, उन्होंने यह भी कहा कि - उन्होंने मोदीजी से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का आर्डर पास करने की अपील की है, अगर मोदीजी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का आर्डर पास करते हैं तो ठीक, नहीं करते हैं तो भी ठीक है लेकिन अगर नहीं पास करेंगे तो अमेरिका भी भारत के साथ ऐसा ही करेगा, विल्कुल करेगा।
डोनाल्ड ट्रम्प ने इशारों इशारों में कह दिया है कि अगर मुसीबत में भारत ने अमेरिका की मदद नहीं की तो अमेरिका भी मुसीबत के समय भारत की मदद नहीं करेगा। अब देखते हैं कि मोदीजी क्या निर्णय लेते हैं लेकिन अगर अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नहीं मिला तो भारत अमेरिका के रिश्तों पर इसका असर जरूर पड़ेगा।
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