फरीदाबाद, 12 अप्रैल: हरियाणा सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक SMO या उससे ऊपर रैंक का डॉक्टर ही कोरोना से मरे व्यक्तियों का अंतिम संस्कार कर सकेगा और उसे नोडल ऑफिसर नॉमिनेट किया जाएगा। सरकार ने ESI हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज NIT-3 के डीन असीम दास से जल्द ही नोडल अफसर की नियुक्ति करने और उसका कॉन्टैक्ट शेयर करने को कहा है.
सरकार आदेश ने निम्नलिखित निदेश दिए गए हैं
- SMO या उससे ऊपर के रैंक के डॉक्टर को नोडल अफसर नियुक्त किया जाय
- MoHFW के दिशानिर्देशों के अनुसार ही डेड बॉडी को हैंडल किया जाय
- अस्पताल के नजदीकी अंतिम संस्कार स्थल पर ही डेड बॉडी को ले जाया जाय, लोकल बॉडी की मदद ली जाय
- डेड बॉडी ट्रांसपोर्ट करने के लिए वाहन किराए पर लिया जाय या किलकारी एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया जाय, NHM से सामंजस्य बिठाकर
- हर बार आने जाने पर वाहन को Decontamination किया जाय.
- डेड बॉडी हैंडल करने वाले पर्सनल स्टाफ की सुरक्षा का ख्याल रखा जाय
क्या परिवार वाले हो सकेंगे अंतिम संस्कार में शामिल?
अब कुछ लोग सोच रहे होंगे कि जब SMO रैंक का अधिकारी ही मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार करेगा तो परिवार वाले क्या करेंगे, क्या उन्हें अपने प्रियजनो के अंतिम संस्कार का हक़ भी नहीं मिलेगा।
हम बताना चाहते हैं कि अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में मृतक को एक बार प्रियजन दूर से देख सकते हैं, इसके अलावा अगर प्रियजन चाहें तो अंतिम संस्कार स्थल में सिर्फ खास लोग जा सकते हैं लेकिन सोशल डिस्टैन्सिंग और अन्य चीजों का ख्याल रखना पड़ेगा, डेड बॉडी को छूने, निपटने या अन्य चीजों की किसी को परमीशन नहीं मिलेगी। डेड बॉडी पूरी तरह से ढकी रहेगी। चैन खोलकर चेहरा भी वहां पर एक बार देखा जा सकता है लेकिन स्टाफ को PPE वर्दी से पूरी तरह से लैश रहना पड़ेगा। इसके अलावा अंतिम संस्कार स्थल पर पूजा, पाठ, मंत्रोच्चार, गंगाजल पिलाने आदि की परमीशन नहीं है.
इसके अलावा मृतक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों की राख को इकठ्ठा करके क्रिया कर्म करने की इजाजत है क्योंकि राख से कोरोना संक्रमण नहीं फैलता, ऐसा WHO की एडवाइजरी में कहा गया है लेकिन यह परिवार की इक्षा पर निर्भर करता है.
देखिये सरकारी दिशानिर्देश की कॉपी -
इसके अलावा मृतक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों की राख को इकठ्ठा करके क्रिया कर्म करने की इजाजत है क्योंकि राख से कोरोना संक्रमण नहीं फैलता, ऐसा WHO की एडवाइजरी में कहा गया है लेकिन यह परिवार की इक्षा पर निर्भर करता है.
देखिये सरकारी दिशानिर्देश की कॉपी -
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