फरीदाबाद, 3 अप्रैल: फरीदाबाद के शाहूपुरा में निजामुद्दीन मरकज में आयोजित जलसे में शामिल होकर लौटे व्यक्ति बाबू खान की मौत हो गयी. पहले तो मरकज और तबलीगी जमात के बारे में लोगों को पता नहीं था लेकिन जब स्थानीय लोगों को पता चला कि मरकज से कोरोना का संक्रमण फैला है और वहां गए लोगों को कोरोना हो सकता है, लोगों के मन में यह भी डर फ़ैल गया कि हो सकता है बाबू खान की भी कोरोना से ही मौत हुई हो.
आज हमने बाबू खान के बेटे खालिद से बात की. खालिद ने बताया कि उसके पिता बाबू खान 28 फ़रवरी 2020 को निजामुद्दीन मरकज में आयोजित समारोह में शामिल हुए थे और 1 मार्च को यानी दो दिन बाद वापस लौट आये थे, 25 मार्च को उनकी मौत हो गयी थी.
खालिद ने बताया कि उनके पिता बाबू खान की उम्र 60 साल थी, वह मरकज से आने के बाद 25 दिन तक जिन्दा रहे, उन्हें 12 साल से शुगर थी, 25 मार्च को शायद उनके पिता बाबू खान की किडनी फेल हो गयी, वह सुबह 5.27 बजे जब उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे तो YMCA फ्लाईओवर पर उनकी मौत हो गयी.
खालिद ने बताया कि उनके पिता की मौत के बाद गांव के कुछ लोगों ने अफवाह फैला दी कि बाबू खान की मौत कोरोना से हुई है, उसके बाद प्रशासन ने गाँव में 20 घरों के बाहर क्वारंटाइन का बोर्ड लगा दिया है, हम लोगों को कहा गया है कि कम से कम 14 दिन आप सबसे अलग रहो. खालिद ने बताया कि अभी हम लोगों का टेस्ट नहीं किया गया है और ना ही कोई लक्षण है. हम लोग विल्कुल ठीक ठाक हैं.
खालिद ने बताया कि उनके बड़े भाई उमर खान की आटे की चक्की है, अफवाह के चलते हम लोग घरों में बंद हैं, हमारे भाई की आटे की चक्की भी बंद है. हमारा काफी नुकसान हो रहा है.
खालिद की बात सुनकर हमने भी उन्हें सलाह दी कि कोरोना के लक्षण काफी दिनों बाद दिखते हैं इसलिए प्रशासन का कहना मानें और कुछ दिनों तक क्वारंटाइन रहकर अपने और अपने परिवार को संक्रमित होने से बचाएं, जब उनके अंदर 14 दिनों तक कोई लक्षण नहीं दिखेंगे तो उन्हें ठीक समझा जाएगा और वे अपनी नार्मल लाइफ जी सकेंगे।
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