फरीदाबाद: कुछ वर्ष पहले रेप और मर्डर के दोषी का फर्जी नाबालिक जन्म प्रमाणपत्र बनाने के आरोपी डॉक्टर राजीव बातीस का हाल ही में नूह जिले से बल्लभगढ़ सिविल हॉस्पिटल में ट्रांसफर हुआ था लेकिन कल उनका बल्लभगढ़ से फिर से ट्रांसफर हो गया और उन्हें हिसार सिविल हॉस्पिटल का PMO (प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर) बना दिया गया है, यह बात हैरान करने वाली है कि स्वास्थय मंत्री अनिल विज के पास शिकायत करने के बाद भी आरोपी डॉ राजीव बातीस को ड्यूटी से सस्पेंड नहीं किया गया है बल्कि उन्हें प्रमोशन का फायदा मिल रहा है, सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टोलेरेंस की नीति फेल साबित हुई है.
आपको बता दें क़ि वर्ष 2002 में तल्कालीन फरीदाबाद जिला (अब पलवल) के होडल तहसील के बासवा गाँव में एक 8 वर्षीय लड़के भोला का रेप और मर्डर हुआ, दोषी रतनलाल पुत्र रंगलाल भी उसी गाँव का था, 2005 में फरीदाबाद की सेशन कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनायी, 2007 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया और दोषी अभी भी नीमका जेल में है.
जुन्हैड़ा गाँव के योगिन्दर ने बताया कि दोषी के परिवार ने 2012 में बल्लभगढ़ सिविल हॉस्पिटल के SMO और BK हॉस्पिटल के रजिस्ट्रार डॉक्टर राजीव बातीस से मिलीभगत करके दोषी को नाबालिक साबित करने के लिए फर्जी नाबालिक जन्म प्रमाण पत्र बनाया, दोषी की डेट ऑफ़ बर्थ 1983 है लेकिन उसकी छोटी बहन की डेट ऑफ़ बर्थ 1986 है, रजिस्टर में उसके नाम की जगह दोषी रतन लाल का नाम लिख दिया गया और दोषी के नाम की जगह उसकी बहन का नाम लिख दिया गया, मतलब एक दूसरे की डेट-ऑफ़-बर्थ की अदला बदली कर दी गयी.
यह सब दोषी रतनलाल को नाबालिक साबित करके उसकी सजा को ख़त्म करवाने के लिए किया गया था, जब हाईकोर्ट में जन्म प्रमाण पत्र सब्मिट किया गया और वहां से कोई अधिकारी वेरिफिकेशन के लिए आया और पीड़ित पक्ष को भी इसकी खबर लग गयी, तत्कालीन रजिस्ट्रार को भी इस फर्जी काम पर शक हुआ और उन्होंने इसे वेरिफाई करने से मना कर दिया, वह CMO के पास गए, CMO ने उस केस को चंडीगढ़ भेज दिया, चंडीगढ़ से प्रदीप कुमार नाम के अफसर आये, उन्होंने जांच करने के बाद एक रिपोर्ट बनायी जिसमें डॉ राजीव बातीस और सरोज राठी (सुपरिंटेंडेंट) एवं अंजू गुलाटी (क्लर्क) की भूमिका को संदिग्ध बताया। इसके बाद CMO ने इनके खिलाफ FIR दर्ज कराई जिसका नंबर है - 502, Thana SGM Nagar, IPC 420, 467, 468, 471, 120B (Date 18.12.2013).
FIR दर्ज होने के बाद भी कोई कर्यवाही नहीं हुई तो पीड़ित लोग तत्कालीन DGP एस एन वशिष्ठ से मिले तो उन्होंने इस मामले को स्टेट क्राइम में दे दिया, उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई और सरकार बदल गयी, उसके बाद पीड़ित लोग ADGP क्राइम केपी सिंह से मिले, उन्होंने तत्कालीन एसपी को फोन करके कार्यवाही करने के लिए कहा जिसमें बाद डॉ राजीव बातीस को 31. 12. 2014 को अरेस्ट किया गया, उनके द्वारा बनाये गए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र को जांच के लिए FSL भेजा गया जिसमें उन्हें अभियुक्त बताया गया. डॉ राजीव बातीस को नीमका जेल भेजा गया जहाँ से पांच दिन बाद उनकी जमानत हुई.
योगिन्दर सिंह ने बताया कि डॉ राजीव बातीस को सर्विस रूल के अनुसार सस्पेंड होना चाहिए लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने उन्हें सस्पेंड नहीं किया, उन्हें फरीदाबाद से ट्रांसफर करके मेवात में लगा दिया गया, इन्हें DD पावर भी नहीं मिल सकती लेकिन इन्हें दो दो DD पावर दी गयी है - SMO और एडिशनल CMO.
योगिन्दर सिंह ने बताया कि हम डॉ राजीव बातीस के खिलाफ कार्यवाही के लिए तीन बार स्वास्थय मंत्री अनिल विज से मिल चुके हैं लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की, हमने CM विंडो पर भी शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई, इसके बाद कोर्ट में डॉ राजीव बातीस के खिलाफ ये चार्ज फ्रेम किये गए - IPC 415/465/468/471/120B.
इसके बाद डॉ राजीव बातीस ने कोर्ट में एक अपील डाली जिसे डिसमिस कर दिया गया और चार्ज को सही बताया गया.
योगिन्दर ने बताया की भाजपा सरकार को सब कुछ पता होने के बाद भी डॉ राजीव बातीस को कुछ वर्ष पहले बीके हॉस्पिटल में PMO बनाकर भेज दिया, उन्होंने गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया, उसके बाद योगिन्दर कर पीड़ित पक्ष ने फिर से भागदौड़ की तो डॉ राजीव बातीस को मानीखेड़ा ट्रांसफर किया गया.
योगिन्दर ने बताया कि हरियाणा सरकार अपनी ही सर्विस रूल को फॉलो नहीं कर रही है, आरोपी डॉ को सस्पेंड करने के बाद उसे प्रमोशन देती है. ऐसा करके भाजपा सरकार खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है. देखें वीडियो -
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