फरीदाबाद: बल्लभगढ़ में किसी से भी पूछो - दीपक चौधरी कैसे नेता हैं तो हर कोई यही कहता है, असली नेता ही दीपक चौधरी है. दीपक चौधरी के सर पर किसी बड़ी पार्टी का हाथ नहीं है लेकिन उनके सर पर बल्लभगढ़ की जनता का हाथ जरूर है, इसीलिए बल्लभगढ़ की जनता ने इस बार ही दीपक को रोशन करने का मन बना लिया है. हरियाणा विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, दीपक चौधरी बल्लभगढ़ से चुनाव लड़ेंगे. सोशल मीडिया पर भी दीपक चौधरी के पक्ष में एकतरफा लहर है. अगर यकीन ना हो तो इस पोस्ट पर क्लिक करके इसमें लिखे कमेन्ट पढ़ें जा सकते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बल्लभगढ़ से भाजपा उम्मीदवार के नाम पर सबसे अधिक मंथन चल रही है, यहाँ से शारदा राठौर का भी नाम चल रहा है, कुछ लोग मूलचंद का भी टिकट पर दावा बता रहे हैं और यह भी चर्चा चल रही है कि टेकचंद शर्मा को पृथला से हटाकर बल्लभगढ़ से उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बल्लभगढ़ से भाजपा उम्मीदवार के नाम पर सबसे अधिक मंथन चल रही है, यहाँ से शारदा राठौर का भी नाम चल रहा है, कुछ लोग मूलचंद का भी टिकट पर दावा बता रहे हैं और यह भी चर्चा चल रही है कि टेकचंद शर्मा को पृथला से हटाकर बल्लभगढ़ से उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
यहाँ पर सबसे अधिक सुर्ख़ियों में हैं वार्ड-37 के पार्षद दीपक चौधरी. दीपक चौधरी ने बल्लभगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंकने का मन बना लिया है, वैसे दीपक चौधरी मोदी लहर में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नगर निगम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को हराकर ही पार्षद बने थे. पूर्व में वह भाजपा नेता रह चुके हैं, चुनाव जीतने के बाद भी वह भाजपा के साथ जुड़कर अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराते रहे, उनकी छवि एक भाजपा समर्थक नेता की है लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिलती तो निर्दलीय उतरकर चुनाव जीतते हैं.
वैसे दीपक चौधरी एक जुझारू, महत्वाकंक्षी और जनप्रिय नेता माने जाते हैं. चाहे पुलिस में भ्रष्टाचार हो, प्रशासन में भ्रष्टाचार हो या नगर निगम में भ्रष्टाचार हो, किसी गरीब पर अत्याचार हो, वह हमेशा जन हित में आवाज उठाते रहते हैं, दीपक चौधरी ही वह पार्षद हैं जो अपने क्षेत्र की जनता के हक के लिए बड़े बड़े अधिकारियों से भिड़ते नजर आते हैं. अगर बल्लभगढ़ में अपराध के खिलाफ कोई नेता सबसे अधिक आवाज उठाता है तो उसका नाम दीपक चौधरी है, शायद इसीलिए वह पूरे विधानसभा क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं, इसी लोकप्रियता का ईनाम जनता उन्हें चुनाव में वोट देकर देती है.
एक तरह से कहें तो दीपक चौधरी के सामने कोई भी आ जाए, चाहे मूलचंद आयें, टेकचंद आयें या शारदा को ही उतार दिया जाए. दीपक चौधरी चट्टान की तरह खड़े हैं और सबको चित करने की ताकत भी रखते हैं. वैसे जनता ऐसे ही युवा, जुझारू और जनप्रिय नेताओं को पसंद करती है, वैसे दीपक चौधरी भाजपा टिकट का भी इन्तजार कर रहे हैं, लेकिन अगर उन्हें भाजपा टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरकर MCF चुनावों की तरह भाजपा को फिर से अपनी ताकत और लोकप्रियता का ट्रायल दिखा सकते हैं. आपको बता दें कि दीपक चौधरी कृष्णपाल गुर्जर के करीबी माने जाते हैं. निर्दलीय जीतकर वह सरकार के साथ जुड़कर अपने क्षेत्र का विकास करा सकते हैं. दीपक चौधरी के चुनाव जीतने पर भाजपा को भी कोई नुकसान नहीं होगा.
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