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अगर खाऊ विधायकों के काट दिए जाएं टिकट तो फरीदाबाद में बरकरार रहेगी मोदी लहर, वरना गए काम से..

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फरीदाबाद: फरीदाबाद के सभी विधानसभा क्षेत्रों में अगर आप ऐसे विधायक को तलाश करें तो अच्छी तरह से खा-पी ना रहा हो तो आपको ऐसा कोई विधायक नहीं मिलेगा. अधिकतर विधानसभाओं के विधायक अच्छी-तरह से खा-पी रहे हैं और अपना घर भर रहे हैं, इसी वजह से आज फरीदाबाद की जनता बिजली पानी के लिए तड़प रही है, प्रदूषण की वजह से शहर में गर्मी बढ़ गयी है, अरावली का चीरहरण नहीं रुक पाया, शहर में पेड़-पौधे नहीं लगाए गए, सभी विधायक सिर्फ खाने के बारे में सोचते रहे. अधिकतर विधायक तो ऐसे हैं जिनके परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी खूब खा-पी रहे हैं.

एक विधायक ने अपने घर को बंगले में तब्दील कर लिया और बंगले के चारों तरफ पार्क, लम्बे-चौड़े अलीशान रोड बनवा लिए, उसके घर के आसपास देखने पर ऐसा लगता है कि किसी राजा-महाराजा के घर के बाहर खड़े हैं. एक विधायक ने कई होटल बना लिए, कई फार्म हाउस बना लिए, खुद को बड़े सेठ में तब्दील कर लिया, एक विधायक ने लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया, जिसकी रिपोर्ट आलाकमान तक गयी है. 

ऐसा नहीं है कि सिर्फ भाजपा विधायक ही खाऊ हो गए हैं, भाजपा को समर्थन देने वाले विधायक भी अच्छा खा-पी रहे हैं और मोटे हो गए हैं.

लोकसभा चुनाव में मोदी को दोबारा लाना जनता की मजबूरी थी क्योंकि देश में मोदी जैसा नेता नहीं है, इसीलिए फरीदाबाद की जनता ने मोदी की झोली में खूब वोट भरे, अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, भाजपा विधायक सोच रहे हैं कि जिस तरह से जनता ने मोदी के नाम पर वोट दिया उसी तरह से हमें भी वोट देगी लेकिन ऐसा नहीं होगा.

फरीदाबाद की जनता देख रही है कि अधिकतर विधायक जनता की सेवा करने के बजाय अच्छा खा-पी रहे है इसलिए जनता ने अधिकतर विधायकों को सबक सिखाकर उन्हें उनके घर पर बिठाने का प्लान बना लिया है लेकिन फरीदाबाद की जनता का यह भी कहना है कि अगर भाजपा ने टिकट बदले तो हम फिर से भाजपा को वोट देंगे और राज्य में भाजपा सरकार बनाएंगे, लेकिन मौजूदा खाऊ विधायकों को सबक जरूर सिखाएंगे.

अगर भाजपा आलाकमान ने फरीदाबाद की जनता की मांग पूरी की तो विधानसभा में फिर से भाजपा की जीत हो सकती है लेकिन अगर टिकट नहीं बदले गए तो राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसा हाल हरियाणा में भी होगा और भाजपा को सिर्फ पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलेगा क्योंकि जनता खाऊ विधायक नहीं बल्कि मेहनती और इमानदार विधायक चाहती है, जो विधायक सेवा करने के बजाय खाना-पीना शुरू कर देता है जनता उसे दोबारा नहीं चुनती.

अगर भाजपा ने खुद अपने खाऊ विधायकों को सबक सिखाया तो जनता उस फैसले से खुश होगी और आशीर्वाद के रूप में लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव में भी वोट देगी लेकिन अगर भाजपा ने अपने खाऊ विधायकों को सबक सिखाकर घर नहीं बिठाया तो जनता खुद फैसला करेगी और खाऊ विधायकों को सबक सिखाकर उनके घर पर बिठा देगी लेकिन अगर जनता फैसला करेगी तो इसका नुकसान भाजपा को भी होगी और राज्य में सरकार नहीं बन पाएगी.
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