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कोर्ट ने दिया स्टे, फिर भी प्रशासन ने तोड़ दिया गरीबों के घर और शिव मंदिर, सेठों की जमीन पर नजर

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फरीदाबाद: नीचे दिख रही फोटो कोर्ट द्वारा दिया गया स्टे आर्डर है. जज पूर्वा मेहरा की अदालत ने गरीबों का घर तोड़े जाने से पहले स्टे दे दिया था, प्रशासन को गरीबों के घर उजाड़ने से रोका था लेकिन प्रशासन तो जैसे गरीबों का घर उजाड़ने का प्लान बनाकर आया था इसलिए कोर्ट का स्टे आर्डर पहुँचने से पहले ही डबुआ सब्जी मंडी के पास न्यू राजीव कॉलोनी में रहने वाले 3-4 गरीबों के घर और उनकी आस्था के केंद्र शिव मंदिर को तोड़ दिया.

नीचे कोर्ट के आदेश में साफ़ साफ़ लिखा है कि तोड़-फोड़ के खिलाफ जो भी अप्पत्ति उठायी गयी है वो विचार करने लायक है, 24 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी तब तक ड्यूटी मजिस्ट्रेट, जिलाधिकारी अतुल द्विवेदी, जॉइंट कमिश्नर MCF फरीदाबाद, SHO डबुआ और सम्बंधित DCP तोड़-फोड़ की कार्यवाही रोक दें.


उपरोक्त आर्डर के बावजूद भी प्रशासनिक अधिकारियों ने तोड़ फोड़ की कार्यवाही की और कई गरीबों के घर और मंदिर तोड़ दिया. बात दरअसल ये थी कि इन घरों को तोड़ने का आदेश भी कोर्ट ने दिया था, प्रशासनिक अधिकारियों को पता था कि इसके खिलाफ स्टे भी मिल जाएगा, इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों ने एक योजना बनाकर तोड़-फोड़ स्थल पर स्टे पहुँचने से पहले ही पूरी ताकत लगाकर गरीबों के घर तोड़ दिए. प्रशासन ने गरीबों को आधे घंटे का भी समय नहीं दिया और कोर्ट की सुनवाई का भी इन्तजार नहीं किया.

हमने गरीबों से बात की तो उन्होंने बताया कि वे लोग यहाँ पर 40 वर्षों से रहते हैं, उन्हें ये जगह आवंटित की गयी थी और उनके पास दस्तावेज हैं, गरीबों के घर मंडी से विल्कुल सामने हैं इसलिए उनके घरों पर कुछ बड़े व्यापारियों की बुरी नजर पड़ गयी. इसके बाद तहसीलदार और पटवारी से मिलकर गरीबों के घरों की जमीन को खाली प्लाट दिखाकर किसी ने उसपर अपना दावा गेर दिया और कोर्ट में केस डालकर गरीबों के घर उजाड़ने का प्लान बनाया. अमीरों बड़ा वकील खड़ा करके गरीबों की आवाज को दबवा दिया गया और कोर्ट ने भी घरों को तोड़ने का आदेश दे दिया लेकिन जब गरीबों ने वकील खड़ा करके कोर्ट में अपनी बातें रखीं तो कोर्ट ने गरीबों की बातों पर विचार करते हुए स्टे भी दे दिया लेकिन तब तक प्रशासन उनके घरों को तोड़ चुका था.

तोड़े गए घर में रहने वाली दिव्यांग बूढी माँ ने बताया कि वह इस घर में 40 वर्षों से रहती हैं, उनके पास वोटर कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड, बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन और सब कुछ है, वे 40 साल से बिजली बिल भर रहे हैं, उनके परिवार में बेटा-बहू और तीन छोटे बच्चे हैं जो पास के सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. प्रशासन ने व्यापारियों और प्रॉपर्टी दलालों को खुश करने के लिए कोर्ट के स्टे आर्डर का इन्तजार किये बावजूद उनके घर को तोड़ दिया, उन्हें ना तो कोई नोटिस दिया गया और ना ही सामान निकालने का समय दिया गया, घर टूटने के साथ साथ उनका टीवी, फ्रिज, बेड और बच्चों के बैग, कॉपी किताब और सब कुछ तहस नहस कर दिया. गरीबों का लाखों रुपये का नुकसान किया गया है. अब उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है, दोबारा घर बनाने में कई महीनें लगेंगे.

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नीचे फोटो में देखिये, गरीबों के घरों को किस तरह से बर्बाद किया गया है. तोड़ फोड़ के वक्त हम भी वहां पर मौजूद थे, हमने अधिकारियों और ड्यूटी मजिस्ट्रेट से पूछा - क्या इन घरों को तोड़ने से पहले गरीबों को रहने की जगह दी गयी है क्योंकि ये लोग यहाँ पर 40 वर्षों से रहते हैं, हमारे सवाल पर अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. आपको बता दें कि सरकार गरीबों को 2022 तक पक्के घर देने का वादा करती है वहीं दूसरी तरफ 40 साल से रह रहे गरीबों को बिना रहने का ठिकाना दिए उनके घरों को तोड़ देती है.


गरीबों के घर तोड़ने के साथ साथ प्रशासन ने उनकी आस्था के केंद्र शिव मंदिर को भी तोड़ दिया. मंदिर में शिवलिंग को हथौड़े से उखाड़ा गया. नीचे फोटो में मंदिर की हालत आप देख सकते हैं.


ये मंदिर में रखी गयी मूर्तियाँ हैं. मंदिर की ऐसी हालत देखकर यहाँ रहने वाले लोग प्रशासन और सरकार से नाराज हैं. खासकर भाजपा सरकार से ये लोग बहुत नाराज हैं क्योंकि स्थानीय नेताओं ने इनके घरों को ना उजाड़ने का गारंटी दी थी लेकिन जिस दिन तोड़-फोड़ हुई, सभी नेताओं के फोन बंद थे.


नीचे वीडियो में देखिये, किस तरह से प्रशासन ने तोड़ फोड़ की कार्यवाही को अंजाम दिया -



नीचे वीडियो में देखिये किस तरह से गरीब लोग प्रशासन और सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं, गरीब लोग कितने परेशान हैं और ये सरकार से क्या चाहते हैं -



नीचे वीडियो में देखिये - गरीब लोग मंदिर तोड़े जाने से किस तरह से नाराज हैं और स्थानीय नेताओं के खिलाफ उनकी क्या प्रतिक्रिया है, यहाँ पर हजारों वोटर रहते हैं और किस तरह से भाजपा नेताओं से नाराज हैं, वीडियो में साफ़ साफ दिख जाएगा -



आपको बता दें कि हमारा चैनल अवैध अतिक्रमण के खिलाफ है लेकिन कई वर्षों से एक स्थान पर रह रहे गरीबों को बिना रहने का ठिकाना दिए उनका घर नहीं तोड़ा जाना चाहिए, कम से कम नोटिस तो जरूर दिया जाना चाहिए ताकि गरीब लोग अपने घर के सामानों को बचा सकें, तोड़-फोड़ के वक्त प्रशासन इतना सख्त हो जाता है कि घरों को तोड़ने के साथ साथ उसमें रखे लाखों रुपये के सामान को भी तहस नहस कर देता है. गरीबों को इतना भी समय नहीं दिया जाता कि वे कुछ आदमियों को इकठ्ठा करके अपनी टीवी, फ्रिज, बेड, आलमारी और अन्य जरूरी सामान निकाल सकें.
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