फरीदाबाद: कुछ नेताओं की आँखों पर भले ही सत्ता ही पट्टी बंधी हुई है और वे देख नहीं पा रहे हैं लेकिन यह बात सच है कि फरीदाबाद में बीजेपी की खटिया खड़ी हो रही है, जनता दो साल पहले से ही सरकार और नेताओं को सबक सिखाने का मन बना लेती है, ऐसे में अगर कार्यकाल के आखिर में तेजी से काम कराया जाय तो भी जनता का मन नहीं बदलता और वह नेताओं को सबक सिखाकर रहती है.
हरियाणा में बीजेपी की सरकार बने तीन साल पूरे हो गए हैं लेकिन अगर मथुरा रोड पर केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट को छोड़ दिया जाए तो शहर में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है, सड़कें बन रही हैं तो वह दो महीनों में टूटने लग रही हैं, कई क्षेत्रों में ऐसा लग रहा है कि सरकार के पांच साल पूरे होते होते सड़कें टूट जाएंगी और नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लग जाएगा, जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं, जगह जगह सीवर जाम की समस्या आ रही है. देखिये सेक्टर 24 की क्या हालत है (फोटो).
जब शहर में चर्चा होती है कि आखिर केंद्र में मोदी सरकार, राज्य में बीजेपी सरकार और नगर निगम में भी बीजेपी की सरकार होने के बावजूद भी फरीदाबाद की ऐसी हालत क्यों हैं तो उत्तर मिलता है कि फरीदाबाद के दो बड़े नेता आपस में एक दूसरे के पैर खींचते हैं, दोनों अन्दर ही अन्दर एक दूसरे को छोटा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं इसलिए शहर का विकास रुका हुआ है क्योंकि जब परिवार के मुखिया ही आपस में लड़ते हैं तो छोटे लोग काम छोड़कर बैठे जाते हैं और तमाशा देखते हैं, दोनों नेताओं को लड़ता देखकर प्रशासन और नगर निगम के लोग तमाशा देख रहे हैं इसलिए काम बंद है.
जनता में यह भी चर्चा होने लगी है कि अगली बार बीजेपी सरकार चली जाएगी, ऐसा भी हो सकता है कि अगली बार दोनों नेताओं का टिकट कट जाए क्योंकि दोनों के बीच मनमुटाव की खबर ऊपर तक पहुँच रही है, वैसे भी बीजेपी ने नए लोगों को टिकट देने का फार्मूला निकाला है, ऐसे में जो काम नहीं करेगा, जो पार्टी का नुकसान करेगा उसका टिकट कटना निश्चित है, यही सोचकर और जनता का मूंड भांपकर आज दोनों नेताओं ने फिर से दिल मिलाने का फैसला किया, फरीदाबाद के वरिष्ठ पत्रकार बिजेंद्रा बंसल के मुताबिक़ दोनों नेताओं ने आज दिल्ली में मुलाक़ात की, साथ में नाश्ता किया और एक दूसरे के गिले शिकवे दूर किये।
दोनों नेताओं को एक साथ देखना शहरवालों के लिए खुशखबरी और कांग्रेस के लिए बुरी खबर है क्योंकि अगर दोनों नेताओं ने दिल से ठान लिया तो सिर्फ दो साल में फरीदाबाद को देश का सबसे बढ़िया शहर बना सकते हैं, पैसे की कोई कमीं नहीं है, विजन भी साफ़ है, बस जज्बा दिखाने की जरूरत है. अगर दोनों नेता साथ रहे तो जनता के अच्छे दिन आएँगे लेकिन अगर दोनों आगे भी लड़ते रहे तो इनके ही बुरे दिन आएँगे।
हरियाणा में बीजेपी की सरकार बने तीन साल पूरे हो गए हैं लेकिन अगर मथुरा रोड पर केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट को छोड़ दिया जाए तो शहर में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है, सड़कें बन रही हैं तो वह दो महीनों में टूटने लग रही हैं, कई क्षेत्रों में ऐसा लग रहा है कि सरकार के पांच साल पूरे होते होते सड़कें टूट जाएंगी और नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लग जाएगा, जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं, जगह जगह सीवर जाम की समस्या आ रही है. देखिये सेक्टर 24 की क्या हालत है (फोटो).
जब शहर में चर्चा होती है कि आखिर केंद्र में मोदी सरकार, राज्य में बीजेपी सरकार और नगर निगम में भी बीजेपी की सरकार होने के बावजूद भी फरीदाबाद की ऐसी हालत क्यों हैं तो उत्तर मिलता है कि फरीदाबाद के दो बड़े नेता आपस में एक दूसरे के पैर खींचते हैं, दोनों अन्दर ही अन्दर एक दूसरे को छोटा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं इसलिए शहर का विकास रुका हुआ है क्योंकि जब परिवार के मुखिया ही आपस में लड़ते हैं तो छोटे लोग काम छोड़कर बैठे जाते हैं और तमाशा देखते हैं, दोनों नेताओं को लड़ता देखकर प्रशासन और नगर निगम के लोग तमाशा देख रहे हैं इसलिए काम बंद है.
जनता में यह भी चर्चा होने लगी है कि अगली बार बीजेपी सरकार चली जाएगी, ऐसा भी हो सकता है कि अगली बार दोनों नेताओं का टिकट कट जाए क्योंकि दोनों के बीच मनमुटाव की खबर ऊपर तक पहुँच रही है, वैसे भी बीजेपी ने नए लोगों को टिकट देने का फार्मूला निकाला है, ऐसे में जो काम नहीं करेगा, जो पार्टी का नुकसान करेगा उसका टिकट कटना निश्चित है, यही सोचकर और जनता का मूंड भांपकर आज दोनों नेताओं ने फिर से दिल मिलाने का फैसला किया, फरीदाबाद के वरिष्ठ पत्रकार बिजेंद्रा बंसल के मुताबिक़ दोनों नेताओं ने आज दिल्ली में मुलाक़ात की, साथ में नाश्ता किया और एक दूसरे के गिले शिकवे दूर किये।
दोनों नेताओं को एक साथ देखना शहरवालों के लिए खुशखबरी और कांग्रेस के लिए बुरी खबर है क्योंकि अगर दोनों नेताओं ने दिल से ठान लिया तो सिर्फ दो साल में फरीदाबाद को देश का सबसे बढ़िया शहर बना सकते हैं, पैसे की कोई कमीं नहीं है, विजन भी साफ़ है, बस जज्बा दिखाने की जरूरत है. अगर दोनों नेता साथ रहे तो जनता के अच्छे दिन आएँगे लेकिन अगर दोनों आगे भी लड़ते रहे तो इनके ही बुरे दिन आएँगे।
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