फरीदाबाद पुलिस अपराध को कंट्रोल करने के लिए बड़े बड़े दावे करती है, कभी आधुनिक सूचना तंत्र की बात करती है, कभी FIR एप की बात करती है और कभी 100 नंबर सुविधा की तारीफ करती है लेकिन असलियत कुछ और ही है, असलियत यह है कि 100 नंबर डायल करने पर कई बार पुलिस वाले फोन ही नहीं उठाते, जब उठाते भी हैं तो लड़ाई-झगड़े के स्थान पर पुलिस की टीम पहुँचता ही नहीं.
कल हमने खुद डबुआ न्यू सब्जी मंडी रोड पर मार-पिटाई होते देखा, दो लोगों की गाड़ियाँ ठुक गयी थी इसलिए वे आपस में मार-धाड़ कर रहे थे, मैंने 100 नंबर की असलियत जानने के लिए फोन लगाया, दूसरी बार डायल करने पर पुलिस ने फोन उठाया. हमने उन्हें पूरा एड्रेस बताया और यह भी बताया कि अभी कुछ ही दिन पहले यहाँ तोड़ फोड़ हुई थी
हमने अपना काम छोड़कर करीब आधा घंटा तक पुलिस का इन्तजार किया, हम भी देखना चाहते थे कि फरीदाबाद की पुलिस की असलियत क्या है, हम इन्तजार ही करते रह गए, झगडा भी समाप्त हो गया, हाँ इस दौरान प्रेम भारद्वाज नामक एक युवक ने मुझसे यानी पत्रकार से भी बदतमीजी करने की कोशिश की, 100 नंबर डायल करने से मना किया, हमने पुलिस से यह भी शिकायत की लेकिन कोई असर नहीं हुआ.
करीब 40 मिनट बाद डबुआ पुलिस चौकी से फोन आया तो उन्होंने थाने में ही दरखास्त देने के लिए बुलाया, अब आप देखिये, जिस स्थान पर मैंने पुलिस को बुलाया था वहां पर कोई नहीं आया, उल्टा थाने में बुला रहे थे, मतलब 100 नंबर की सुविधा फ्लॉप निकली।
वास्तव में पुलिस विभाग खुद को कितना भी आधुनिक बताये लेकिन निचले स्तर पर वही लोग बैठे हैं जो पहले थे, जब तक उन्हें आधुनिक नहीं बनाया जाएगा, उन्हें ट्रेनिंग नहीं दी जाएगी, उन्हें दौड़ाया नहीं जाएगा, उनका पेट नहीं पिचकाया जाएगा तो उनके अन्दर फुर्ती कैसे आएगी।
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