फरीदाबाद: 2014 विधानसभा चुनाव में जिले की 6 विधानसभा सीटों में से भाजपा को तीन पर विजय मिली थी जबकि तीन पर अन्य सीटों पर पार्टियों के उम्मीदवारों को विजय मिली थी, फरीदाबाद, बडखल और बल्लभगढ़ में बड़े अंतर से भाजपा की जीत हुई थी लेकिन बडखल और बल्लभगढ़ विधानसभा में सत्ता विरोधी लहर पैदा हो रही है. फरीदाबाद के विधायक जो राज्य में उद्योग एवं पर्यावरण मंत्री हैं उनके खिलाफ भी विरोधी लहर बहने लगी है लेकिन उनकी जीत-हार की संभावना 50-50 है, अरावली पर PL/PA एक्ट में संसोधन के चर्चे के बाद उनके खिलाफ भी विरोधी सुर उठने लगे हैं क्योंकि वह राज्य के पर्यावरण मंत्री भी हैं और फरीदाबाद शहर विश्व का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना जाता है, अरावली चीरहरण करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है उलटा उनको फायदा पहुंचाने के लिए PL/PA एक्ट में संसोधन किया जा रहा है जो शहर में प्रदूषण को बढ़ावा देगा.
हम बात कर रहे हैं बल्लभगढ़ और बडखल विधानसभा की जहाँ पर सत्ता विरोधी लहर सबसे अधिक है, फरीदाबाद विधानसभा की चर्चा कुछ दिन बाद करेंगे.
बल्लभगढ़:
बल्लभगढ़ के भाजपा विधायक मूलचंद शर्मा जातिवादी और घमंडी नेता माने जाते हैं, उनकी भाषा में अक्खडपन है, इसके अलावा सेक्टर 10 रेसिडेंसियल क्षेत्र में उनका होटल (मिलन वाटिका) विवादों में है, प्रशासन ने इस इलाके में अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान सील कर दिए और कई तोड़ दिए गए लेकिन इनके होटल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसकी वजह से विधायक जी जनता की आँखों में चुभने लगे हैं, इसके अलावा जनता को इनका विकास भी साफ़ साफ दिख रहा है.
यहाँ पर इनके सामने कांग्रेस की पूर्व विधायक शारदा राठौर हैं लेकिन उनकी भी जीत की संभावना नहीं है क्योंकि जनता ने पिछले कार्यकाल में उनसे नाराज होकर ही भाजपा को वोट दिया था, यहाँ से कोई निर्दलीय मेहनती, युवा एवं ईमानदार उमीदवार बाजी मार सकता है.
बल्लभगढ़ में विधायक विरोधी लहर की एक और वजह है अपराध, बल्लभगढ़ में चोरी, चकारी, लूट और गुंडागर्दी चरम पर है. वहां के पुलिस-प्रशासन की पूरी तरह से बदली हो चुकी है, अगर अपराध पर लगाम लगी तो कुछ विरोधी लहर कम होगी लेकिन जनता चार वर्षों में अपना मन परिवर्तन का बना चुकी है.
बल्लभगढ़ में विधायक विरोधी लहर की एक और वजह है अपराध, बल्लभगढ़ में चोरी, चकारी, लूट और गुंडागर्दी चरम पर है. वहां के पुलिस-प्रशासन की पूरी तरह से बदली हो चुकी है, अगर अपराध पर लगाम लगी तो कुछ विरोधी लहर कम होगी लेकिन जनता चार वर्षों में अपना मन परिवर्तन का बना चुकी है.
बडखल:
बडखल की विधायक सीमा त्रिखा भी मूलचंद शर्मा की राह पर चल रही हैं, उन्होंने सेक्टर 21 में अपना आलीशान महल और चारों तरफ पार्क बनाकर अपना अद्भुत विकास दिखाया है लेकिन क्षेत्र का उतना विकास नहीं हुआ, पार्कों की हालत बेहद खराब है, सिर्फ कुछ स्थानों पर सीमेंटेड रोड बनाए गये हैं लेकिन कई जगह उसमें भी घटिया मैटेरियल लगा है. इसके अलावा विधायक सीमा त्रिखा ने ही हार्डवेयर चौक पर अवैध निर्माण तोड़ने गए अधिकारियों को खुली डील में सस्पेंड करने की धमकी दी थी और आज उनकी धमकी की वजह से ही हार्डवेयर चौक पर कई अवैध निर्माण हो चुके हैं जिसमें से हमारे द्वारा बार बार आवाज उठाने पर कुछ महीनें पहले एक को सील किया गया था. रोजाना लाखों लोग अवैध निर्माणों को देखकर भाजपा सरकार से नाराज होते हैं. इसके अलावा दशहरा मेले से पहले रावण पॉलिटिक्स की वजह से भी उनके खिलाफ लोगों में गुस्सा है.
सीमा त्रिखा के खिलाफ विरोधी लहर का एक कारण यह भी है कि विजली मांगने के लिए उनके आवास पर प्रदर्शन करने गए कुछ लोगों को पुलिस ने अरेस्ट करके जेल में हवालात में बंद कर दिया था, उनमें से दर्जनों लोग आज भी कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं, इस घटना ने सीमा त्रिखा के खिलाफ माहौल बनाया था.
सीमा त्रिखा के खिलाफ विरोधी लहर का एक कारण यह भी है कि विजली मांगने के लिए उनके आवास पर प्रदर्शन करने गए कुछ लोगों को पुलिस ने अरेस्ट करके जेल में हवालात में बंद कर दिया था, उनमें से दर्जनों लोग आज भी कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं, इस घटना ने सीमा त्रिखा के खिलाफ माहौल बनाया था.
विधायक सीमा त्रिखा को अलग दोबारा टिकट मिला तो हार पक्की है, यहाँ से भाजपा को कोई युवा और मेहनती उम्मीदवार ढूंढना चाहिए. अगर भाजपा ने सीमा त्रिखा को दोबारा टिकट दिया तो कोई निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीत सकता है क्योंकि जनता जानती है कि मेहनती निर्दलीय उम्मीदवार बाद में भाजपा को समर्थन दे देगा या भाजपा में शामिल हो जाएगा.
यहाँ के अन्य पार्टियों के उम्मीदवार भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं लेकिन जनता शायद ही कांग्रेस, आप, इनेलो या बसपा या जजपा को मौका देगी क्योंकि जनता एक बार फिर से या तो बहुमत की सरकार बनाएगी या इमानदार निर्दानीय उम्मीदवारों को विधायक बनाएगी.
याद कीजिये, अवैध निर्माण-कब्जे को भाजपा ने यूपी में बनाया था मुख्य मुद्दा
अगर आपको याद ना हो तो हम आपको याद दिलाते हैं, भाजपा ने उत्तर प्रदेश चुनावों में अवैध निर्माण और अवैध कब्जों को मुख्य मुद्दा बनाया था और उनपर भरोसा करते हुए जनता ने सपा को उखाड़ फेंका था लेकिन यहाँ तो विधायक अवैध निर्माण को बचाने के लिए खुलेआम अधिकारियों को खुली डील में सस्पेंड करने की धमकी देती हैं. आप सोचिये जनता यह सब देखेगी तो क्या करेगी. हार्डवेयर चौक पर अवैध निर्माण इसका जीता जागता सबूत है.
विधायकों के टिकट काटना भाजपा की मजबूरी
आपने देखा, मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनावों में अधिकतर विधायक और मंत्री चुनाव हार गए, भाजपा ने जहाँ जहाँ टिकट काटे वहां उनकी जीत हुई, अगर उन्होंने अधिक विधायकों के टिकट काटे होते तो आज मध्य प्रदेश और राजस्थान में फिर से भाजपा सरकार होती, अब हरियाणा में भाजपा ये गलती नहीं दोहराएगी, करीब 60 फ़ीसदी विधायकों के टिकट काटे जाएंगे, कई मंत्रियों के भी टिकट काटे जाएंगे. पहले जनता के बीच सर्वे किया जाएगा उसके बाद भी टिकट देने का निर्णय किया जाएगा.
याद कीजिये, अवैध निर्माण-कब्जे को भाजपा ने यूपी में बनाया था मुख्य मुद्दा
अगर आपको याद ना हो तो हम आपको याद दिलाते हैं, भाजपा ने उत्तर प्रदेश चुनावों में अवैध निर्माण और अवैध कब्जों को मुख्य मुद्दा बनाया था और उनपर भरोसा करते हुए जनता ने सपा को उखाड़ फेंका था लेकिन यहाँ तो विधायक अवैध निर्माण को बचाने के लिए खुलेआम अधिकारियों को खुली डील में सस्पेंड करने की धमकी देती हैं. आप सोचिये जनता यह सब देखेगी तो क्या करेगी. हार्डवेयर चौक पर अवैध निर्माण इसका जीता जागता सबूत है.
विधायकों के टिकट काटना भाजपा की मजबूरी
आपने देखा, मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनावों में अधिकतर विधायक और मंत्री चुनाव हार गए, भाजपा ने जहाँ जहाँ टिकट काटे वहां उनकी जीत हुई, अगर उन्होंने अधिक विधायकों के टिकट काटे होते तो आज मध्य प्रदेश और राजस्थान में फिर से भाजपा सरकार होती, अब हरियाणा में भाजपा ये गलती नहीं दोहराएगी, करीब 60 फ़ीसदी विधायकों के टिकट काटे जाएंगे, कई मंत्रियों के भी टिकट काटे जाएंगे. पहले जनता के बीच सर्वे किया जाएगा उसके बाद भी टिकट देने का निर्णय किया जाएगा.
Post A Comment:
0 comments: