मुंबई, 28 अप्रैल: महाराष्ट्र की जनता के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्व बात है कि सोनिया सेना की सरकार कोरोना से लड़ने के बजाय पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज करने, पत्रकारों को परेशान करने और उन्हें डराने में व्यस्त है, जिस सरकार को कोरोना के खिलाफ जंग लड़नी चाहिए वह पत्रकारों से जंग लड़ रही है और पत्रकारों की आवाज को दबाना चाहती है, इसी सिलसिले में कल रिपब्लिक टीवी के चीफ अर्नब गोस्वामी को मुंबई के एक थाने में 12 घंटे बिठाकर रखा गया है उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया जबकि यह ऐसा मामला ही नहीं है जिसमें 12 घंटे थाने में बिठाकर पूछताछ की जाय.
महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे अधिक 8590 मामले हैं, 369 लोगों की मौत भी हो चुकी है, सिर्फ मुंबई में 5000 से अधिक मामले हैं और 204 लोगों की मौत हो चुकी है, कहने का मतलब ये है कि कोरोना ने महाराष्ट्र में सबसे अधिक कोहराम मचा रखा है, सोनिया सेना की सरकार जंग में कमजोर दिख रही है लेकिन सोनिया सेना की सरकार ने कोरोना के खिलाफ पुलिस को लगाने के बजाय पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ पुलिस को लगा दिया है.
अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने अपने राज्यों में 200 से अधिक FIR दर्ज करवाई है, मुंबई और नागपुर में भी उनके खिलाफ FIR दर्ज है, सुप्रीम कोर्ट ने तीन हप्ते तक किसी भी तरह की कार्यवाही पर रोक लगाई थी लेकिन मुंबई पुलिस ने सोनिया सेना की सरकार के दबाव में अर्नब गोस्वामी को कई नोटिस भिजवाए। अर्नब गोस्वामी जब 27 अप्रैल N M जोशी मार्ग थाने में पूछताछ के लिए आये तो उन्हें 12 घंटे के लिए पूछताछ के नाम पर थाने में कैद कर दिया गया, उन्हें रिपब्लिक भारत टीवी पर हिंदी में 'पूछता है भारत' डिबेट शो भी नहीं करने दिया गया.
महाराष्ट्र की सोनिया सेना की सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है जो कोरोना के खिलाफ अपनी पूरी ताकत लगाने के बजाय पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ अपनी पूरी ताकत, अपना पूरा सिस्टम लगा दिया है ताकि उन्हें डराया जा सके और सोनिया गाँधी के खिलाफ बोलने और लिखने वाले पत्रकारों का मुंह बंद किया जा सके. शायद इसे ही तानाशाही कहते हैं. कांग्रेसी लोग खुद प्रधानमंत्री मोदी को रोजाना कितनी गालियां देते रहते हैं, खुद सोनिया गाँधी उन्हें मौत का सौदागर कहती हैं लेकिन सोनिया के खिलाफ अगर कोई बोले तो उसके खिलाफ FIR दर्ज करवाकर उसे परेशान करती हैं. तानाशाही का इससे बड़ा उदाहरण हो ही नहीं सकता।
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